भारत में किसी पौराणिक स्थल पर आम तौर पर जिस संख्या में पर्यटक आते हैं, पुष्कर में आने वाले पर्यटकों की संख्या उससे कहीं ज्यादा है। इनमें बड़ी संख्या विदेशी सैलानियों की है, जिन्हें पुष्कर खास तौर पर पसंद है। हर साल कार्तिक महीने में लगने वाले पुष्कर ऊंट मेले ने तो इस जगह को दुनिया भर में अलग ही पहचान दे दी है। मेले के समय पुष्कर में कई संस्कृतियों का मिलन सा देखने को मिलता है। एक तरफ तो मेला देखने के लिए विदेशी सैलानी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं, तो दूसरी तरफ राजस्थान व आसपास के तमाम इलाकों से आदिवासी और ग्रामीण लोग अपने-अपने पशुओं के साथ मेले में शरीक होने आते हैं। मेला रेत के विशाल मैदान में लगाया जाता है। ढेर सारी कतार की कतार दुकानें, खाने-पीने के स्टाल, सरकस, झूले और न जाने क्या-क्या। ऊंट मेला और रेगिस्तान की नजदीकी है इसलिए हर तरफ तो ऊंट देखने को मिलते ही हैं, लेकिन कालांतर में इसका स्वरूप विशाल पशु मेले का हो गया है। धार्मिक मेला एकादशी स्नान के साथ आरंभ होगा तथा समापन 12 नवंबर कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर पुष्कर सरोवर में होने वाले महास्नान के साथ होगा। प्राचीन काल से लोग यहां प्रतिवर्ष कार्तिक मास में एकत्रित होकर भगवान ब्रह्मा की पूजा उपासना करते हैं। पुष्कर मेला कार्तिक महीने में शुरू होता है और पुष्कर की झील में नहाना, तीर्थ करने के समान माना गया है। इस दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु झील में डुबकी लगाकर ब्रह्मा जी का आशीर्वाद लेकर मेले में खरीद फरोख्त करते हैं। पूरा दिन और शाम को पारंपरिक नृत्य, घूमर, गेर मांड और सपेरा दिखाए जाते हैं। शाम को आरती होती है। इस आरती को शाम के वक्त सुनने से मन शांत होता है। कैसे पहुंचें पुष्कर- अगर आप हवाई मार्ग से जाना चाहते हैं, तो जयपुर एयरपोर्ट तक आ सकते हैं। इससे आगे 140 किलोमीटर की दूरी बस या टैक्सी से कर सकते हैं। ट्रेन से आना चाहते हैं, तो कई ट्रेनें अजमेर तक चलती हैं और अजमेर से पुष्कर सिर्फ 11 किलोमीटर की दूरी पर है।