अढ़ाई मंजिल से अधिक निर्माण पर हर रोज सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में आज से होगी चर्चा, अदालत में अपना पक्ष पहले ही रख चुकी है प्रदेश सरकार

शिमला –प्लानिंग एरिया शिमला में अढ़ाई मंजिला से अधिक भवन निर्माण पर लगी रोक केस पर सोमवार से हर रोज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। गत 15 अक्तूबर को हुई सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार ने अपना पक्ष रखा था, लेकिन उसे राहत नहीं मिल पाई। उसी दिन सुनवाई 18 नवंबर तक टल गई थी। बताया गया कि अब 18 नवंबर से हर दिन इस मसले पर सुनवाई होनी है। सूत्रों के मुताबिक अगली सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार को शपथ पत्र दायर करना होगा। बता दंे कि एनजीटी के उन आदेशों को प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें अढ़ाई मंजिला से अधिक भवन निर्माण पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई थी। बताया गया कि जब तक एनजीटी के आदेश लागूू हैं, तब तक स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर काम होना संभव नहीं है। प्रदेश सरकार ने हाल ही में एनजीटी के आदेशों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।  उल्लेखनीय है कि पर्यावरण को बचाने के लिए और आपदा की दृष्टि को देखते हुए 16 जुलाई, 2018 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने राजधानी शिमला में भवन निर्माण मामले में बड़ा फैसला सुनाया था। एनजीटी ने शिमला के कोर और ग्रीन  एरिया में कंस्ट्रकशन पर पूरी तरह से रोक लगा दी है और कोर एरिया के बाहर भी सिर्फ अढ़ाई मंजिला भवन निर्माण हो सकते हैं। इसके साथ कोर और ग्रीन एरिया में अब तक जितने भी अवैध भवन निर्माण हुए हैं, उन्हें तोड़ने के भी आदेश दिए गए थे। एनजीटी ने प्रदेश के प्लानिंग एरिया में अवैध भवनों को रेगुलर नहीं करने का भी फैसला लिया है। प्रदेश सरकार ने एनजीटी के 16 नवंबर, 2017 के फैसले को चुनौती देते हुए फरवरी, 2018 में रिव्यू पटिशन दायर की थी। इसके  बाद दो बार 15 मई और 17 जून को एनजीटी के समक्ष भवन मालिकों को राहत देने के लिए अपना पक्ष भी रखा।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दिए थे ये आदेश

पिछले साल एनजीटी ने प्रदेश के अन्य भागों में हर तरह के अवैध निर्माणों को नियमित करने पर प्रतिबंध लगाते हुए साफ  किया था कि यदि किसी ने शिमला के कोर, ग्रीन व फोरेस्ट एरिया से बाहर अवैध निर्माण को नियमित करने का आवेदन 13 नवंबर, 2017 से पहले कर रखा है, तो ही वह नियमित हो सकेगा। इसके लिए नियमितीकरण शुल्क के साथ पांच हजार प्रति वर्ग फुट और व्यावसायिक भवन के अवैध निर्माण को नियमित करने के लिए 10 हजार प्रति वर्ग फुट के हिसाब से पर्यावरण मुआवजा देना होगा। यह शुल्क अन्य प्रकार के शुल्क से अलग होगा। प्रदेश में 13 नवंबर, 2017 के पश्चात किए किसी भी अनाधिकृत निर्माण को नियमित नहीं किया जाएगा। ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पूरे प्रदेश में सड़कों से तीन मीटर की दूरी के भीतर किसी भी प्रकार की निर्माण पर रोक लगा दी है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने  35 से 45 डिग्री से ज्यादा की स्लोप में निर्माण करने पर भी रोक लगा दी है। इसके साथ-साथ प्रदेश में बिना अनुमति के पेड़ों व जमीन की कटिंग करने वाले पर कम से कम पांच लाख का जुर्माना बतौर पर्यावरण नुकसान भरपाई मुआवजा वसूलने के आदेश भी जारी किए गए थे।