आम आदमी की पहुंच से बाहर लवी मेला

रामपुर, बुशहर – अंतरराष्ट्रीय लवी मेले को आज भी लोग खरीद-फरोख्त का सबसे बड़ा जरिया मानते हैं, लेकिन काफी हैरान करने वाली बात है कि इस मेले पर महंगाई का रंग चढ़ गया है, जिस कारण लोग यहां से उत्पाद   खरीदने से परहेज करने लगे हैं। सबसे ज्यादा महंगाई किन्नौरी मार्केट के उत्पादों में है, जबकि यह मार्केट नगर परिषद द्वारा मुफ्त में आबंटित की जाती है। इतना ही नहीं, नगर परिषद किन्नौरी मार्केट को खुद बना कर देती है। बावजूद इसके किन्नौरी मार्केट के उत्पादों की कीमत रामपुर के बाजार भाव से ज्यादा ही रहती है। ऐसे में लोगों का कहना है कि वह यहां से इन उत्पादों को क्यों खरीदें, जबकि मुख्य बाजार में इनकी कीमत यहां से कम है। इस वर्ष चिलगोजे के दाम 1700 से 1800 रुपए प्रतिकिलो चल रहे हैं। हालांकि बीते वर्ष इसके दाम 1500 रुपए प्रतिकिलो थे। वहीं किन्नौरी राजमाह 170 से 200 रुपए, जबकि बीते वर्ष 150 से 180 रुपए, खुमानी 300 से 500 रुपए प्रतिकिलो, बादाम 400 से 500 रुपए प्रतिकिलो, गोल्डन सेब 800 से 1000 रुपए प्रति गिफ्ट पैक और 1000 से 1200 रुपए रॉयल प्रति गिफ्ट पैक बिक रहा है। वहीं गुट्टी का तेल 1200 से 1500 रुपए प्रति लीटर बिक रहा है। लवी मेले में पहुंचे खरीददार यह सोच कर मेले में आते हैं कि यहां पर उन्हें कम कीमतों में अच्छे उत्पाद मिल जाएंगे, लेकिन फिलहाल इन उत्पादों की कीमतों में आए भारी उछाल को देखते हुए खरीददार इससे दूरी ही बनाए हुए हैं। लोगों का कहना है कि व्यापारियों ने अपने हित के लिए मेले का असल स्वरूप ही बदल दिया है।

उत्पादों के मूल्य पर कोई नियंत्रण नहीं

लवी मेले में केवल किन्नौरी और बुशहरी मार्केट ही ऐसी हैं, जिन्हें मुफ्त में दिया जाता है, जबकि यहां पर लगे अन्य स्टालों की कीमत 50 हजार से एक लाख तक है। ऐसे में अन्य स्टालों में बिक रही चीजों की कीमतों में उछाल आना स्वाभाविक है, लेकिन किन्नौरी मार्केट के रेट बाजार भाव से ज्यादा होना हर किसी को अखर रहा है। लोगों का कहना है कि बाजार से महंगी कीमतों पर यहां पर उत्पाद बेचे जा रहे हैं, उस पर नजर रखना जरूरी है। लेकिन किन्नौरी मार्केट में बिकने वाले उत्पादों की कीमतों पर न तो नगर परिषद प्रबंधन कोई लगाम लगा पा रहा है और न ही इस संबंध में स्थानीय प्रशासन ने अभी तक कोई कदम उठाया है।