गद्दी चंबा के भरमौर क्षेत्र के निवासी हैं

गद्दी चंबा के भरमौर क्षेत्र के निवासी हैं। वैसे ये लोग धौलाधार की उपत्यकाओं में बसतेे हैं। इतिहासकार, गद्दियों को मुस्लिम आक्रमर्णों के कारण पहाड़ों की ओर भाग कर आने वाले खत्री जाति के लोग मानते हैं, परंतु यह बात सत्य प्रतीत नहीं होती। यह तो संभव है कि मैदानों से खत्री जाति के लोग आकर गद्दी जाति का अंग बन गए हों…

गतांक से आगे …         

हिमाचल में जनजातियां

भारतीय समाज के इतिहास की एक उल्लेखनीय विशेषता यह है कि देश में अति प्राचीनकाल से ही विभिन्न तत्त्वों की लहरें आती रहीं और इस बहु- प्रजातीय महासागर में बिलीन होती रहीं। इस देश की एक विशेषता यह है कि यह कुछ विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्रों में भी बंटा हुआ है और प्रत्येक की अपनी-अपनी कुछ विशेषताएं हैं, जिनका प्रभाव उस क्षेत्र के निवासियों पर पड़ना स्वाभाविक ही है। इस प्रकार भारतवर्ष में एक ओर विभिन्न प्रजातीय तत्त्वों का समावेश है और दूसरी ओर विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों का। भारत के इन विभिन्न क्षेत्रों में ऐसे मानव-समूह निवास करते हैं, जो आज भी सभ्यता के आदिम स्तर पर हैं। ये प्रायः सभ्य समाज से दूर जंगली, पहाड़ी या पठारी क्षेत्रों में भी रहते हैं और प्रत्येक मामले में अत्यधिक पिछड़े हुए हैं। इन्हें जनजाति, वन्यजाति, आदिवासी आदि नाम से संबोधिक किया जाता है। भारतीय संविधान में इन लोगों को अनुसूचित जनजातियां कहा गया है। प्राचीन रचनाओं में इन्हें अरण्य, निषाद, शवर फिरात आदि नामों से जाना जाता है। इंपीरियल गजेटियर के अनुसार, ‘ एक जनजाति परिवारों का एक समूह है, जिसका एक सामान्य नाम होता है, जिसके सदस्य एक सामान्य भाषा बोलते हैं तथा एक सामान्य क्षेत्र में या तो वे वास्तव में रहते हैं या स्वयं को उस क्षेत्र से संबंधित मानते हैं तथा वे अपनी ही जाति में विवाह करते हैं’  हिमाचल प्रदेश में भी ऐसे कई समूह हैं जिन्हें जनजाति का दर्जा प्राप्त है, उनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैंः

गद्दी जनजाति: गद्दी चंबा के भरमौर क्षेत्र के निवासी हैं। वैसे ये लोग धौलाधार की उपत्यकाओं में बसतेे हैं। इतिहासकार, गद्दियों को मुस्लिम आक्रमर्णों के कारण पहाड़ों की ओर भाग कर आने वाले खत्री जाति के लोग मानते हैं, परंतु यह बात सत्य प्रतीत नहीं होती। यह तो संभव है कि मैदानों से खत्री जाति के लोग आकर गद्दी जाति का अंग बन गए हों, पंरतु वास्तविक गद्दी लोग अति प्राचीन और हिमाचल के मूल निवासियों में से हैं। यह बात गद्दियों के पंरपरागत विशिष्ट पहनावे से प्रमाणित हो जाती है। वैसे पाणिनि की अष्टाध्यायी में गद्दी और गब्दिका प्रदेश का वर्णन आया है जिसका अपभं्रश रूप गद्दी है। अतः इस जनजाति के लोग अति प्राचीन हैं। गद्दी लोग भेड़ बकरियां पालने का मुख्य व्यवसाय करते हैं।                    -क्रमशः