जीवन में जागरूकता

सद्गुरु  जग्गी वासुदेव

जीवन के संदर्भ में इसका अर्थ ये होता है कि अपनी पांच ज्ञानेंद्रियों से आप को जो भी जानकारी मिलती है वो सामान्य रूप से बाएं दिमाग में जाती है। जो भी जानकारी आप के शरीर के बाकी भागों से मिलती है,जो तार्किक नहीं होती, जो छोटे- छोटे टुकड़ों में नहीं होती, पर जिसमें एकरूपता होती है और जो आप के जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक होती है, वो आप के दाएं दिमाग में आती है, जो तार्किक काम नहीं करता। आप शायद इसके प्रति जागरूक न हों पर आप हमेशा इन सूचनाओं का उपयोग करते रहते हैं, वरना आप यहां हो ही नहीं सकते। जब तक आप के बाएं और दाएं दिमाग के बीच सक्रिय सामंजस्य (तालमेल) नहीं होता, तब तक आप ये सूचनाएं होशपूर्वक प्राप्त नहीं कर सकते। जागरूकता के साथ अपने अंदर जीवन के उस भाग तक पहुंच पाना, उस जानकारी और ज्ञान तक सचेत होकर पहुंचने से आप ऐसी ऊंचाई को छू सकते हैं, जिसकी आपने कल्पना भी नहीं की है। अब तक आप अपने जीवन में जो काम बहुत मेहनत से कर पा रहे थे, वो अब बस ऐसे ही कर सकेंगे। कितने ही लोगों के लिए उनके जीवन में ध्यान का प्रभाव उनके कार्य में तथा उनके जीवन जीने के ढंग में दिखता है। मैं कहूंगा कि आप अगर एक खास तरह की गतिविधि करते हैं, जैसे कि आजकल के सॉफ्टवेयर इंजीनियर जो काम 30 दिन में करते हैं, क्रिया शुरू करने के 6 महीनों के अंदर, वे उसी काम को एकदम सहजता से, बिना कोई खास प्रयत्न किए बहुत ही कम समय में कर सकेंगे। हां अगर वे अपने काम को कॉन्ट्रेक्ट के हिसाब से खींचना चाहते हैं, तो ये उनका मामला है, उससे मुझे कुछ लेना देना नहीं। दुनिया में काम करने की आप की योग्यता जबरदस्त रूप से बेहतर हो जाती है, लगभग सुपर मानव जैसी हो जाती है। शारीरिक रूप से और मानसिक रूप से, आप की ये बढ़ी हुई योग्यता लोगों की भीड़ में भी आप को अलग खड़ा कर देगी, अगर आप क्रियाएं पर्याप्त रूप से करें। यदि स्वास्थ्य की दृष्टि से देखें तो कितने ही चिकित्स्कीय संशोधन आज आप को ये बताते हैं कि ये ध्यान आप के लिए जादुई चीजें करता है। शारीरिक लाभ, स्वास्थ्य संबंधी लाभ, मानसिक क्षमताएं बढ़ना, जीवन को सुगमता से चला पाना आदि ये सभी मुख्य लाभ नहीं हैं। जो असली चीज है वो धीरे-धीरे विकसित होती है। उसे आप तब ही जानेंगे जब वो खिल जाएगी। तब तक आप को लगेगा कि कुछ भी नहीं हो रहा। ये ऐसा है जैसे कि आप ने अपने घर में फूलों का एक पौधा लगाया है। जैसे-जैसे वो बढ़ता है, आप को बस पत्तियां आती हुई दिखती हैं, फूल नहीं। आप का पड़ोसी आप से कहता है ये बेकार है। आप कह रहे थे कि इसमें फूल आएंगे पर इसमें तो सिर्फ  पत्तियां आ रही हैं। बेहतर होगा कि इसे काट डालो और जलाने के काम में ले लो। आप ने कहा, हो सकता है कल सुबह कुछ हो जाए। फिर अगली सुबह कुछ नहीं होता। आप और प्रतीक्षा करते हैं। धीरे-धीरे पूरा साल निकल जाता है और कई साल। अगर आपको ये पता न होता कि इस पेड़ में फूल आने में कितना समय लगेगा तो आप ने इसे अब तक कटवा दिया होता। लेकिन अगर आप इसका पोषण करते रहे, तो एक दिन जब इसमें फूल लगेंगे तब ये अपनी पूरी बहार में होगा, तब ही आप समझेंगे कि इस पेड़ में पत्तियां महत्त्व की नहीं थी, इसकी छाया का भी कोई खास महत्त्व नहीं था। आखरिकार इसमें फूल आ गए और ये अतुलनीय रूप से सुंदर हो गया।