तीसरी आंख सुधारेगी यातायात

डा. विनोद गुलियानी, बैजनाथ

ही पुलिस न ही समाजसेवी और न ही बेवजह गाडि़यों के हार्न की तीखी आवाज, परंतु फिर भी यातायात व्यवस्थित व सब कुछ शांत। लोग ट्रैफिक संकेतों का सम्मान करते हुए बिना हड़बड़ाहट के अपनी मंजिल की ओर बढ़ते चले जा रहे थे। ट्रैफिक जाम की कोई समस्या ही नहीं। आने-जाने की अलग-अलग सड़क। ऐसा आकर्षक यातायात और चुस्त-दुरुस्त प्रबंधन गत दिनों मुझे सिंगापुर की यात्रा में देखने को मिला। इन सबको तीसरी आंख कहे जाने वाला सीसीटीवी कैमरा देख रहा होता है। तो क्या ऐसा मेरे देश या प्रदेश में नहीं हो सकता है? मेरा जयराम ठाकुर सरकार से विशेष आग्रह  रहेगा कि प्रदेश में ऐसी शुरुआत तो करें, परिणाम सामने होंगे।