नींद में जागरूकता

सद्गुरु  जग्गी वासुदेव

क्या यह संभव है कि हम नींद में भी जागरूक और होशपूर्ण रहें? शून्य एवं सुषुप्ति की बात करते हुए सद्गुरु समझा रहे हैं कि ऐसी अवस्था का अनुभव लेने के लिए क्या करना पड़ता है? आप जब सोते हैं तब बस सोईए, कुछ और करने की कोशिश मत कीजिए। एक सुंदर कहानी है। कई सालों तक वे सात ऋषि, जिन्हें हम सप्तर्षि कहते हैं आदियोगी के साथ रह कर साधना करते रहे, सीखते रहे तथा पूर्ण रूप से उनसे जुड़े रहे। आदियोगी और उनके बीच बांटने की प्रक्रिया इतनी गहराई से हुई कि उनका पूरा जीवन बस आदियोगी ही थे। फिर एक दिन आदियोगी ने कहा,अब जाने का समय आ गया है, अब आप लोगों को यह ज्ञान सारी दुनिया को देना होगा। उन्होंने उन लोगों को दूर-दूर के क्षेत्रों में जाने को कहा। एक को उन्होंने मध्य एशिया भेजा, एक को उत्तरी अफ्रीका, तो एक को दक्षिणी अमरीका भेजा, एक अन्य को दक्षिण पूर्व एशिया और एक को दक्षिणी भारत भेजा, एक को उस क्षेत्र में जाने को कहा जो आज भारत का हिमालय क्षेत्र है और एक वहीं, उन्हीं के साथ रह गया। जब आपकी शरीर के रूप में पहचान पूरी तरह से टूट जाए, तभी आप जागरूकता के साथ सो सकेंगे। अगर 15,000 साल पहले आप ने किसी को दक्षिणी अमरीका जाने को कहा होता, तो ये वैसा ही था जैसे आपने उसे किसी दूसरी गैलेक्सी में जाने को कहा हो। तो सप्तऋषियों ने कहा, हमें नहीं मालूम कि हम कहां जा रहे हैं, किस तरह के लोग वहां रहते हैं, कैसा व्यवहार वे हमारे साथ करेंगे और वे इस चीज के लिए तैयार हैं भी कि नहीं? अगर हम किसी संकट में पड़ जाएं या हम यह ज्ञान उन लोगों को उस तरह न दे पाएं जैसा आप चाहते हैं, तो क्या आप हमारे साथ होंगे? आदियोगी ने उनकी तरफ विलक्षण दृष्टि से देखा और कहा, अगर तुम लोग मुश्किल में पड़ जाओ या तुम्हारे जीवन को खतरा हो या तुम्हारे काम में कोई तकलीफ  आई, तो मैं सो जाऊंगा। उन्हें जवाब मिल गया, लेकिन अगर आज मैं आपसे ये कहूं तो आप बहुत असुरक्षित और अपमानित महसूस करेंगे। मैं इन्हें अपनी तकलीफ  बता रहा हूं और ये कह रहे हैं कि ये सो जाएंगे। अगर आप जागरूकता के साथ सोना चाहते हैं, तो आप को अपने शरीर का कोई भाव नहीं होना चाहिए। हम जब जागते हैं तब हम होश में होते हैं, लेकिन हमारी ऊर्जाएं कई तरह से काम पर लगी होती हैं। हमें बैठना होता है, बोलना होता है, कुछ न कुछ काम करना होता है, लेकिन यदि मैं जागरूकता के साथ सोता हूं तो मेरी ऊर्जाएं पूरी तरह से एकत्रित रहती हैं और मैं चेतन भी होता हूं। तो इसका अर्थ ये है कि मैं अपनी कार्यक्षमता के शिखर पर होता हूं। अतः जब शिव कहते हैं, अगर आप मुश्किल में हैं तो मैं सो जाऊंगा, तो इसका अर्थ ये है, मैं तुम्हारे लिए सबसे अच्छा प्रयत्न करूंगा।