प्रगति की राह पर प्रदेश

हेमांशु मिश्रा 

स्वतंत्र लेखक

हिमाचल प्रदेश के गठन के बाद से हिमाचल प्रदेश ने एक लंबी छलांग लगाई है, लेकिन बढ़ते जनसंख्या के दबाव और सीमित संसाधनों के चलते हिमाचल प्रदेश में अभी कई मंजिले तय करनी हैं। चुनौतियां भी है संभावनाएं है।  हिमाचल लंबे कदम धीरे-धीरे मजबूती से बढ़ा रहा है। विकास की सतत यात्रा में प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री यशवंत सिंह परमार जी ने हिमाचल प्रदेश में आधारभूत ढांचा खड़ा करना शुरू किया। शांता कुमार जी ने मुख्यमंत्री रहते हुए घर-घर पानी पहुंचा कर, पन-बिजली परियोजनाओं में  हिमाचल प्रदेश को रॉयल्टी दिलवाकर बहुत बड़ा काम किया। वही प्रेम कुमार धूमल जी ने सड़कों के जाल बिछा कर, हिमाचल प्रदेश में संपर्क क्रांति की शुरुआत की। औद्योगिक पैकेज भी उनके ही प्रयास रहे वहीं वीरभद्र सिंह जी ने भी प्रदेश के शिक्षा स्वास्थ्य के क्षेत्रों में विकास में कई छोटे वह कई महत्त्वपूर्ण कदम  उठाए हैं जो सराहनीय है। वर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की दूरदर्शी सोच के कारण जन-मंच  हिमकेयर  आदि  अनेक  पारदर्शी योजनाएं  प्रदेश में शुरू हुई, परंतु  सबसे महत्त्वपूर्ण प्रदेश में जो वैश्विक निवेशक सम्मेलन धर्मशाला में आयोजित होने जा रहा है वह हिमाचल की विकास यात्रा में मील का पत्थर अवश्य सिद्ध होगा। अर्थशास्त्र की जानकारी रखने वाले लोग मानते हैं कि किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए अर्थतंत्र की मजबूती सबसे महत्त्वपूर्ण होती है। जब सारा विश्व जीडीपी की बात करता हो और विकास के मानकों में प्रति व्यक्ति आय को महत्त्वपूर्ण मान कर उस क्षेत्र की आर्थिक उन्नति का मूल्यांकन करता हो, ऐसे में हिमाचल प्रदेश सरकार के साथ-साथ निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाते हुए पर्यावरण मित्र उद्योगों की स्थापना एक आवश्यकता बन जाती है क्योंकि हिमाचल प्रदेश में जहां जनसंख्या बढ़ रही है वही बेरोजगारी भी बढ़ रही है गांव में अंदर जाने में ध्यान आता है की युवा रोजगार की तलाश में अमृतसर, चंडीगढ़, दिल्ली, मुंबई, बंगलुरु शहरों में पलायन कर गए हैं वही गांव में घर खाली दिखते हैं, तो कुछ घरों में केवल उम्रदराज लोग ही रह गए हैं। पहाड़ की जवानी पहाड़ के पानी की तरह बिना किसी योग्य  काम के व्यर्थ जा रही है। ऐसे में जहां पन विद्युत योजनाओं के माध्यम से हिमाचल में निवेश के अपार अवसर हैं वही निवेश के माध्यम से रोजगार के अनेक अवसर खुलने की संभावनाएं भी बनेंगी। हिमाचल प्रदेश में पन विद्युत, पर्यटन, सौर ऊर्जा, बागबानी, प्रकृतिक चिकित्सा और अन्य पर्यावरण  प्रिय उद्योगों की निवेश में अपार संभावनाएं हैं और हो भी क्यों न हिमाचल प्रदेश में 24 घंटे ऊर्जा मिलती है। हिमाचल प्रदेश विद्युत सरप्लस राज्य के रूप में जाना जाता है। हिमाचल प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति अन्य राज्यों की अपेक्षा बहुत ही अच्छी है। हिमाचल प्रदेश में न दिल्ली की तरह प्रदूषण है न ही अन्य राज्यों की तरह शोषण दिखाई देता है उससे भी ऊपर सरकार की राजनीतिक शक्ति जयराम ठाकुर की साफ छवि और निवेश के अनुकूल माहौल इन सब चीजों को मिलकर हिमाचल प्रदेश आज निवेश के लिए सबसे बड़ा और सबसे टिकाऊ डेस्टीनेशन बनने जा रहा है।