यह एंबुलेंस धक्के से चलती है…चल यार धक्का मार।

यह क्या साहब। अभी तो सर्दियां आई भी नहीं कि “चल यार धक्का मार” शुरू हो गया। जी हां, कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला, चंबा के सलूणी में। जहां प्रदेश सरकार के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के बड़े-बड़े दावों की पोल देश के अत्यंत पिछड़े जिले में शुमार चंबा के सलूणी में आकर अपने आप खुल गई है। जहां लोगों को सुविधाएं देने वाली 108 एंबुलेंस स्वयं लोगों के रहमोकरम पर चलानी पड़ रही है। ऐसा एक-दो बार नही, बल्कि बार-बार करना पड़ता है। जहां आपातकाल की स्थिति में अगर 108 सेवाएं देना चाहे, तो पहले उसे लोगों की सेवाएं लेनी पड़ती हैं और धक्का मारकर या किसी गाड़ी का सहारा लेकर इसे स्टार्ट करना पड़ता है। इसपर सवाल उठना लाजमी है कि क्या ऐसी ही व्यवस्थाओं के कारण जिला चंबा पिछड़े जिला नाम मिला है, तो सरकार कब होगी व्यवस्था ठीक, कब धुलेगा पिछड़ेपन का दाग।