-रूप सिंह नेगी, सोलन
हिमाचल के जनजातीय जिला किन्नौर में जल संपदा का अत्यधिक दोहन होने से सतलुज नदी ने नाले का रूप धारण किया है, और पर्यावरण के कुप्रभाव से जनता को भारी कठिनाइयों से जूझना पड़ता है, स्वास्थ्य सेवाओं के चरमराने से मरीजों को रामपुर, शिमला या चंडीगढ़ का रुख करना पड़ता है। सड़क अवरुद्ध होने की सूरत में मरीजों की कठनाइयां और बढ़ जाती हैं। हाइड्रो पावर कंपनियां हर साल करोड़ों रुपए जिला के लाडा फंड के लिए देती हैं, पर ऐसा नहीं लगता है कि उन पैसों का सदुपयोग हुआ होगा। खैर, लाडा फंड के साथ क्या होता आ रहा है, यह छानबीन का विषय हो सकता है, लेकिन मेरे जहन में विचार आता है कि क्यों न हम लाडा फंड के पैसों से एक अस्पताल का निर्माण कर वहां की जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करें।