समस्या पराली जलाने की

कविता सिसोदिया

बिलासपुर

भारत विश्व में चावल का दूसरा बड़ा उत्पादक देश है। यहां पर चावल उत्पादक राज्यों में पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, अांध्र प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, कर्नाटक, ओडिशा, असम, पंजाब तथा हरियाणा हैं। परंतु पराली जलाने की समस्या हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में ही क्यों है? कृषि विशेषज्ञों के अनुसार हरियाणा और पंजाब के किसानों के पास कृषि अधिक है। यहां धान की कटाई मजदूरों से करवाने के बजाय मशीनों से करवाई जाती है जिससे धान की ऊंची कटाई होने से धान के पौधे का एक भाग खेत में खड़ा रह जाता है। अगली फसल के लिए खेत खाली तो करने पड़ते हैं, इसलिए किसान पराली को खेतों में जलाने के लिए विवश हैं। परंतु पराली जलाने को पर्यावरण प्रदूषण का कारण माना जा रहा है, पर किसान करे तो क्या करें? सरकार पराली जलाने पर रोक लगा रही है। पंजाब पराली जलाने के मामले में देश भर का केंद्र है। फिर भी इस इस राज्य का वायु गुणवत्ता सूंचकाक के मामले में काफी संतोषजनक प्रदर्शन है। वहीं इसके पड़ोस दिल्ली , हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कई भागों में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। इसका कारण यह है कि पराली से उठने वाला धुआं उत्तर पश्चिम हवाओं के साथ यहां से निकल जाता है। यह प्रदूषण और हमारी जीवन शैली से अनगिनत बीमारियां पैदा हो रही हैं। हमें और सरकारों को आपसी सहयोग से प्रदूषण समस्या का समाधान करना होगा। दिल्ली जैसी समस्या आने वाले समय में सभी राज्यों में या पूरे विश्व में हो सकती है। अगर इस समस्या के समाधान के लिए गंभीरता से उचित कदम न उठाए गए तो परिणाम भयंकर हो सकते हैं।