समाहल गांव से ही एक और पीडि़ता आई सामने; बोली, देवता के नाम पर पुजारिन ने लोगों से उसे भी पिटवाया
बीमार पुजारिन एक महीने में होगी ठीक
महिला कृष्णी ने कहा कि इतना सब कुछ होने के बाद वह यह आदेश सुनाने वाले देवता माहूनाग के मूल स्थान चचोट के तरोर गांव गई और वहां अपनी व्यथा सुनाई। इसके बाद देवता मूल माहूनाग ने अपने पुजारी के माध्यम से कहा कि यह पुजारिन बीमार है और इसका एक माह में इलाज हो जाएगा। इसके बाद बुजुर्ग कृष्णी देवी अपने गांव लौट आई।
लोगों ने डर के मारे घटना को दिया था अंजाम
कृष्णी देवी का कहना है कि छह नवंबर को ऐसे ही आदेशों के चलते राजदेई नाम की महिला को निशाना बना गया। कथित पुजारिन ने डायन बताकर जूतों की माला और मुंह काला कर गांव में घुमाने के आदेश दिए। इसके बाद लोगों ने डर के मारे आदेश मानकर इस शर्मनाक घटना को अंजाम दिया।
दूसरा केस करने वाले की भी हुई थी पिटाई
देवता समिति व ग्रामीणों पर दूसरा मुकदमा दर्ज करवाने वाले जय गोपाल ने बताया कि उसे भी छह नवंबर को सुबह पीटा गया था। सात नवंबर को उसकी शिकायत पर सरकाघाट पुलिस मौके पर आई, लेकिन देवता के आदेश बता कर उसे पुलिस के सामने भी पीटा गया। पुलिस ने उनका समझौता भी करवाया, लेकिन इसके बाद भी उसे पीटा गया।
समय रहते कार्रवाई होती, तो नहीं होती समाहल की घटना
सरकाघाट –क्षेत्र के बड़ा समाहल गांव बुजुर्ग महिला के साथ हुई घटना को आरोपियों के परिजनों ने पुलिस की गलती ठहराया है। परिजनों का आरोप है कि अगर पुलिस समय पर कार्रवाई करती तो यह घटना नहीं होती। इन लोगों ने बताया कि पुलिस को घटना से पहले भी शिकायतकर्ता ने अवगत करवाया था, मगर उस समय पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। इस बात का जिक्र एफआईआर में स्वयं शिकायतकर्ता ने किया है। बाद में जब सरकार और जनता को दबाव पड़ा तो पुलिस ने आनन-फानन में उन लोगों को भी जेल में डाल दिया, जो घटना के समय मौजूद नहीं थे। बिलासपुर के कजैल का मनोज कुमार, पट्टा गांव का कश्मीर सिंह और बड़ा समाहल का राजेंद्र सिंह भी घटना वाले दिन मौके पर मौजूद नहीं थे, मगर उनको भी सजा काटनी पड़ रही है। आरोपियों के परिजनों ने सरकार से इस मामले की सीबीआई जांच करवाने की मांग की है।