सुन्नी प्रोजेक्ट लेगा 20 गांवों की जमीन

अधिग्रहण के लिए सरकार ने दी मंजूरी, प्रभावितों को कानून के मुताबिक मिलेगा मुआवजा

शिमला – सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड के सुन्नी डैम प्रोजेक्ट के निर्माण को जमीन अधिग्रहण के लिए मंजूरी मिल गई है। सरकार ने यहां 20 गांवों में जमीन का अधिग्रहण करने को मंजूरी प्रदान की है। इसमें शिमला जिला की सुन्नी तहसील के 11 गांव, कुमारसैन तहसील के दो गांव और करसोग तहसील के सात गांवों में जमीन का अधिग्रहण होगा। इन्हीं गांवों के लोग प्रोजेक्ट निर्माण से प्रभावित होंगे। प्रदेश के ऊर्जा विभाग ने एसजेवीएनएल द्वारा बनाई परियोजना रिपोर्ट के आधार पर एक कमेटी का गठन किया था, जिसकी सिफारिशों पर जमीन के अधिग्रहण को मंजूरी प्रदान कर दी गई है। बता दें कि हाल ही में सरकार ने इस प्रोजेक्ट को अपनी मंजूरी देते हुए सतलुज निगम के साथ एमओयू किया है। हालांकि परियोजना को लेकर सालों से कागजी कार्रवाई चल रही है, लेकिन सरकार के साथ असल में एमओयू अभी हुआ है। समझौते के अनुसार यहां पर सतलुज निगम प्रोजेक्ट का निर्माण करेगा। इस परियोजना की क्षमता 332 मेगावाट की होगी, जिस पर 2555 करोड़़ रुपए की राशि खर्च होनी संभावित है। इस परियोजना के निर्माण से लगभग 1500 लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद जगी है। यहां पर निर्मित होने वाली बिजली का मूल्य चार रुपए 30 पैसे प्रति यूनिट तक रहेगा, जिसका आकलन भी लगाया जा चुका है।

इन गांवों की भूमि का अधिग्रहण होगा

जिला शिमला की सुन्नी तहसील का गांव जैशी, भराड़ा, खैरा, लूणसू, बठोरा, पन्दोआ, ग्रैहणा, तलाह, ओगली, कोठी, मालगी की जमीन का अधिग्रहण होगा। कुमारसैन तहसील के गांव झुनझुन व मजरोग में भी जमीन जाएगी, वहीं करसोग तहसील में गांव जकलीन, भौंरा, बलोग, फफान, परलोग, बेलूडांक व खरयाली गांव शामिल हैं। इन्हीं गांवों के लोग परियोजना के निर्माण से प्रभावित होने वाले हैं। यहां के परिवारों को कानून के मुताबिक मुआवजा दिया जाएगा, वहीं रिहेबिलिटेशन पॉलिसी के तहत उन्हें पुर्नस्थापित करने के लिए काम भी किया जाएगा। परियोजना के लिए कुल 53-19-64 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाना है।