7वीं पास किसान ने बनाई मक्की पीलिंग मशीन

चंद मिनटों में अलग हो जाते हैं बीज, कीमत बहुत ही कम

स्वारघाट – कहते हैं कि आवश्यकता आविष्कार की जननी है। यह कहावत चरितार्थ की है बिलासपुर जिला के उपमंडल स्वारघाट के तहत कुटैहला पंचायत के गांव धारभरथा के सातवीं पास किसान गुरदेव सिंह ने। गुरदेव सिंह ने एक ऐसी मशीन तैयार की है,जो कि चंद मिनटों में क्विंटलों के हिसाब से मक्की के बीज निकाल सकती है। इस मशीन की खासियत यह है कि बाजार में मिलने वाली मक्की पीलिंग मशीनों से दो से तीन गुना ज्यादा  काम करती है और बाजारी मशीनों से काफी सस्ती और किफायती है। गुरदेव सिंह ने बताया कि एक बार वह लुधियाना इंडस्ट्री में मक्की पीलिंग मशीन लाने के लिए गए थे, लेकिन वहां पर उनकी पसंद की कोई मशीन नहीं मिली। घर आने पर गुरदेव सिंह ने स्वयं मशीन बनाने की कोशिश की और छह से सात हजार की लागत से यह मशीन तैयार कर दी। अन्य ग्रामीण क्षेत्रों की तरह धारभरथा गांव में भी मक्की की फसल पर्याप्त मात्रा में होती है तथा हर परिवार के पास औसतन पांच से 10 क्विंटल मक्की  की फसल होती है। मक्की के दाने निकालने के लिए ग्रामीणों को काफी मेहनत करनी पड़ती है। इसी समस्या के समाधान के लिए सातवीं क्लास तक पढ़े गुरदेव सिंह द्वारा हाल ही में एक छोटी तथा कारगर मशीन का अविष्कार किया है। गुरदेव सिंह ने बताया कि गांव व आसपास के गांवों  के अन्य लोग भी उन्हें ऐसी मशीन बनाने की डिमांड कर रहे हैं। गुरदेव सिंह स्वारघाट में चाय व मिठाई की दुकान भी चलाते हैं।

बाजार में मिलने वाली मशीनों से कहीं बेहतर

इस मशीन की खासियत यह है कि इसमें करीब दो टोकरी मक्की आ जाती है, जबकि बाजार में मिलने वाली महंगी पीलिंग मशीनों में एक-दो मक्की से ज्यादा नहीं जाती और इन मशीनों में दाने अलग करने में भी काफी समय लगता है। इस मशीन की एक ओर खासियत यह है कि इसमें मक्की के जो अवशेष (गुल्ली) बचते हैं, वे पूरे के पूरे निकल जाते हैं और टूटते नहीं है।