अध्यापकों के दबाव में एक दिन के भीतर छुट्टियों में बदलाव

अब 26 दिसंबर से चार जनवरी तक विंटर विकेशन, छात्रों तक नहीं पहुंच पाए शाम तीन बजे के बाद मिले आदेश

शिमला –अध्यापक संघों के दबाव और अधिकारियों की लापरवाही के चलते हिमाचल में स्कूलों की छुट्टियों पर दिन-ब-दिन बदलते आदेशों से शिक्षा विभाग और सरकार की काफी किरकिरी हो रही है। शुक्रवार को हिमाचल सरकार ने ग्रीष्मकालीन स्कूलों में 22 दिसंबर से पहली जनवरी तक अवकाश घोषित किए थे, जिसके एक दिन बाद ही शनिवार को सरकार ने यू-टर्न लिया और छुट्टियां 26 दिसंबर से चार जनवरी तक घोषित कर दीं। इसमें सबसे दिलचस्प बात यह रही कि फैसला शनिवार शाम तीन बजे के बाद लिया गया, जिससे छात्रों तक छुट्टियों की सूचना पहुंचाना नामुमकिन हो गया। यानी सरकार की लापरवाही के चलते बच्चों की पढ़ाई के चार दिन छिन गए। स्कूल प्रबंधन पहले ही 22 दिसंबर से छुट्टियों की घोषणा कर चुके थे और जब तक अगले आदेश उनके पास पहुंचे, तो बच्चे पहले वाले आदेशों को फाइनल मान घर जा चुके थे। बताया जा रहा है कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही और अध्यापकों के दवाब के चलते यह नया कारनामा हुआ है। शनिवार के लिए गए फैसले के अनुसार ग्रीष्मकालीन स्कूलों में विंटर विकेशन 26 दिसंबर से चार जनवरी तक होंगी, शुक्रवार को जो फैसला हुआ था, उसके मुताबिक 22 से 31 दिसंबर तक छुट्टियां होनी थीं और पहली जनवरी को बच्चों को स्कूल आना था। मगर अब चार जनवरी तक अवकाश रहेगा और पांच जनवरी को स्कूल खुलेंगे। अध्यापक वर्ग का इसे लेकर पूरा दबाव था, लेकिन हैरानी इस बात की है कि उच्च शिक्षा निदेशक ने शुक्रवार को छुट्टियां 22 दिसंबर से करने की सिफारिश क्यों की। इन सबसे से हिमाचल की शिक्षा प्रणाली मजाक बन कर रह गई है।

लंबे समय से थी अवकाश बढ़ाने की मांग

बहुत पहले से अध्यापक वर्ग यह मांग कर रहा था कि छुट्टियों को आगे बढ़ाया जाए, क्योंकि सरकारी स्कूलों को 25 दिसंबर तक रिजल्ट तैयार करने के आदेश दिए गए थे।

अब सवाल चार दिन का…

प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के छुट्टियों पर बदलते आदेशों के बाद अब अगले सार दिन क्या होगा, यह खुद में बड़ा सवाल है। ऐसा माना जा रहा है कि अगले चार दिन तक अब अध्यापक ही स्कूल में हाजिरी लगाएंगे और रिजल्ट तैयार करेंगे। संघों के दबाव और अधिकारियों की लापरवाही के चलते उनको चार दिन का अतिरिक्त अवकाश मिल गया है।

जल्दबाजी के लिए जिम्मेदार कौन

एक दिन बाद ही बदले फैसले से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होनी लाजिमी है, लेकिन हैरानी इस बात की है कि अब इसके लिए जिम्मेदार किसे ठहराएंगे। सूत्रों की मानें तो अध्यापकों के दबाव के चलते शिक्षा विभाग से लगातार सरकार से संपर्क साधा जा रहा था। शिक्षा मंत्री प्रदेश से बाहर थे और उनसे संपर्क किया जा रहा था। उनसे देरी से संपर्क हो सका, जिस कारण समय पर आदेश भी जारी नहीं हो सके, लेकिन शिक्षा विभाग ने पहले सोच समझकर कदम क्यों नहीं उठाया यह समझ से परे है। पहले भी यही मांग हो रही थी कि अवकाश चार जनवरी तक बढ़ाया जाए, फिर आनन-फानन में इसे शुक्रवार को क्यों घोषित किया गया।