कम दामों पर उपलब्ध हों दवाइयां

  -डा. विनोद गुलियानी, बैजनाथ

यह तथ्य झुठलाया नहीं जा सकता है कि अपने देश में ऐथिकल व जेनेरिक दोनों प्रकार की दवाइयां बनती हैं। अतः चाहे कोई भी प्रकार हो, मरीज को जांची-परखी गुणवत्ता वाली दवाई कम से कम रेट पर ही मिलनी चाहिए। दवाई का थोक-परचून का अंतर पारदर्शिता मांगता है। यह सब सरकार के दायरे में आता है। जब न अधिक रेट, न कमीशन, न कोई शक तो मरीज- डाक्टर का सौहार्द पूर्वक रिश्ता फिर से पटरी पर। बस हर ओर से थोड़ी ईमानदारी की आवश्यकता है।