कविता : मां मुझे तुमसे भी शिकायत है

ऐ मां मुझे तुझसे भी शिकायत है, मुझे मेरी हदें तूने बता दी, पर भाई को उसकी हद मेंरहना सिखाना भुल गई। हम दोनों की परवरिश साथ में हुई, फिर क्यों उसके काम उसे बताना भूल गई। मां हम दोनों तेरे ही बच्चे हैं, तो क्यों हम दोनों के घर आने के समय में इतना फर्क आ गया, वह देर रात तक बाहर रहता है और मुझे 7 बजे के पहले घर में वापस आना सिखा दिया। मां मुझे तुझसे शिकायत है कि मेरी छोटी सी गलती पर तूने मुझे थप्पड़ मारा है, और भाई की बड़ी बड़ी करतूतों पर तूने परदा डाला है। मां जितना तूने मुझे सिखाया उतना भाई को भी सिखाया होता, तो न ही किसी भाई को फांसी होती न ही किसी लड़की का परिवार खून के आंसू रोया होता।

– मंजु शर्मा,सोलन