नागरिकता संशोधन विधेयक: शिवसेना ने उठाए सवाल, जेडीयू ने कहा- बिल पर हम सरकार के साथ

नई दिल्ली  – नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर शिवसेना ने कई सवाल उठाते हुए कहा है कि जिन लोगों को नागरिकता दी जानी है, उन्हें 25 साल तक वोटिंग का अधिकार नहीं होना चाहिए। पिछले महीने ही बीजेपी से अलग होकर महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी संग सरकार बनाने वाली शिवसेना का यह रुख उसकी विचारधारा से उलट लगता है। दिलचस्प बात यह है कि एक तरफ प्रखर हिंदुत्व की राजनीति करने वाली शिवसेना ने इस बिल पर सवाल उठाए हैं, जबकि जेडीयू ने इसका खुलकर समर्थन किया है। जेडीयू के नेता राजीव रंजन सिंह ने कहा कि यह बिल सेकुलरिज्म की भावना को मजबूत करने वाला है। उन्होंने कहा कि इसमें उन शरणार्थियों को नरक से निकालने वाला है, जो अपना घर और सम्मान छोड़कर आए हैं। जेडीयू नेता ने कहा कि यह बिल कहीं से भी धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत को चुनौती नहीं देता है। शिवसेना का पक्ष रखते हुए सांसद विनायक राउत ने कहा, ‘इन तीन देशों से अब तक कितने लोग आए हैं और कितने लोगों की पहचान की गई है। यदि सारे लोगों को नागरिकता दी गई तो देश की आबादी बहुत बढ़ जाएगी। इन लोगों के आने से भारत पर कितना बोझ बढ़ेगा, इसका जवाब भी होम मिनिस्टर को देना चाहिए।’ पाकिस्तान और बांग्लादेश में भारत विभाजन के चलते लोगों के उत्पीड़न की बात समझ में आती है, लेकिन अफगानिस्तान से इसका विषय है यह बात समझ में नहीं आई। शिवसेना ने कहा कि इस विधेयक में श्रीलंका को भी शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि इस बिल से अफगानिस्तान को हटाकर श्रीलंका को शामिल किया जाए तो बेहतर होगा। 

BSP ने कहा, मुस्लिमों को भी मिले बिल में जगह
मुस्लिमों को भी इसमें शामिल किया जाए। बांग्लादेश की लड़ाई के वक्त या फिर उससे पहले या बाद में भारत आए मुस्लिमों को भी नागरिकता दी जानी चाहिए। उन्हें बांग्लादेश बताकर नागरिकता से वंचित किया जा रहा है। वे भी किसी तरह की खुशी से भारत नहीं आ रहे हैं। यदि उनके साथ अच्छा बर्ताव होता तो वह अपना देश छोड़कर नहीं आते। अफजाल अंसारी ने कहा कि शरणार्थी का कोई जाति, धर्म नहीं होता।