नासा ने चेन्नई के इंजीनियर की मदद से खोज निकाला लैंडर विक्रम का मलबा

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से करीब 600 किलोमीटर दूर स्थित सतह की तस्वीरें जारी

न्यूयार्क – अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा को चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का मलबा मिल गया है। नासा ने मंगलवार सुबह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से करीब 600 किलोमीटर दूर स्थित सतह की तस्वीरें जारी कीं। चंद्रयान-2 का विक्त्रम लैंडर सात सितंबर को इसी जगह पर तेज गति से टकराया था और उसके टुकड़े करीब एक किलोमीटर के इलाके में फैल गए थे। नासा ने इस खोज का श्रेय चेन्नई के 33 वर्षीय मैकेनिकल इंजीनियर शनमुग सुब्रह्मण्यम (शान) को दिया है। नासा ने एक बयान जारी कर बताया है कि शनमुग सुब्रह्मण्यम ने नासा द्वारा जारी की गई चंद्रमा की तस्वीरों का अध्ययन किया और उसके बाद उन्होंने नासा को विक्रम लैंडर के अवशेष के वास्तविक लोकेशन की जानकारी दी। नासा ने बताया कि श्री सुब्रह्मण्यम के साथ ही कई अन्य लोगों ने भी नासा द्वारा जारी की गई तस्वीरों को अध्ययन के लिए अपलोड किया था, लेकिन सिर्फ सुब्रह्मण्यम ने ही विक्रम लैंडर के मलबे की वास्तविक जगह का अनुमान लगाया। इसके बाद नासा ने विक्रम लैंडर के मलबे को ढूंढ निकाला और उसकी तस्वीर जारी की। नासा  ने अपने बयान में कहा कि चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर के क्षतिग्रस्त  होने के बावजूद चंद्रमा के सतह के इतने करीब पहुंचना एक अद्भुत उपलब्धि है। उल्लेखनीय  है कि सात सितंबर को चंद्रमा के दक्षिणी छोर पर सॉफ्ट लैंडिंग के समय  भारतीय अंतरिक्ष यान चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के नियंत्रण कक्ष से संपर्क टूट गया था। विक्रम लैंडर का संपर्क जिस समय इसरो के नियंत्रण कक्ष से टूटा वह चंद्रमा की सतह से लगभग 2.1 किलोमीटर दूर था। मंगलवार को नासा के लूनर रिकॉनसेंस ऑर्बिटर मिशन (एलआरओ) के डिप्टी प्रोजेक्ट साइंटिस्ट जॉन कैलर ने शान को ई-मेल भेजा था। इसमें नासा ने शान को विक्रम लैंडर का मलबा खोजने की सूचना देने के लिए धन्यवाद देते हुए लिखा कि एलआरओ टीम ने आपकी खोज की पुष्टि की है। आपके द्वारा सूचना दिए जाने के बाद हमारी टीम ने उस स्थान की विस्तृत छानबीन की तो लैंडर के चंद्रमा की सतह से टकराने के स्थान व उसके आसपास बिखरे टुकड़ों को ढूंढ लिया। नासा इसका श्रेय आपको देता है। हालांकि इस बारे में आपसे संपर्क करने में देरी के लिए क्षमा चाहते हैं, लेकिन सब कुछ सुनिश्चित करने के लिए ज्यादा समय की जरूरत थी। शनमुग ने बताया कि अगर विक्रम लैंडर ठीक से चंद्रमा की सतह पर उतर जाता और कुछ तस्वीरें भेज देता तो शायद चंद्रमा में इतनी रुचि न बढ़ती, लेकिन विक्रम लैंडर की क्रैश लैंडिंग ने उसमें दिलचस्पी बढ़ा दी।

नासा ने तस्वीरों के साथ शान को दिया खोज का श्रेय

मंगलवार को नासा ने चंद्रमा के सतह की तस्वीर जारी की, जिसमें हरे रंग के बिंदुओं के जरिए विक्रम के मलबे को दर्शाया। नीले बिंदुओं में विक्रम के टकराने के बाद सतह पर आए फर्क को दिखाया है, जबकि एस लिखकर उस स्थान के बारे में बताया है, जहां शनमुग सुब्रह्मण्यम ने मलबे की पहचान की।

16 दिन रोजाना छह घंटे तक खंगाली तस्वीरें

शनमुग ने बताया कि 17 सितंबर से अक्तूबर की शुरुआत तक हर रोज मैंने करीब चार से छह घंटे नासा द्वारा जारी तस्वीरों को छाना। मुझे प्रस्तावितत लैंडिंग साइट से करीब 750 मीटर दूर एक सफेद बिंदु दिखा जो लैंडिंग की तय तिथि से पहले की तस्वीर में वहां नहीं था। उसकी चमक ज्यादा थी। तब मुझे तीन अक्तूबर को अंदाजा हुआ कि यह विक्रम का ही टुकड़ा है। नासा के कुछ वैज्ञानिकों को भी मैंने यही जानकारी भेजी। नासा ने एलआरओ से 11 नवंबर को इस साइट की नई तस्वीरें आने के बाद ठीक इसी स्थान की दिसंबर, 2017 में ली गई तस्वीरों के साथ गहराई से पड़ताल की तो मेरी खोज को सही पाया और मुझे इस बात की बेहद खुशी है कि उन्होंने मुझे इसका क्रेडिट भी दिया।