पंचायतों को पैसा खर्चने के लिए 31 मार्च तक का वक्त

प्रदेश में खर्च ही नहीं हो पाए हैं 600 करोड़ रुपए, आदेश न मानने पर प्रधान पर गिरेगी गाज

शिमला – प्रदेश की पंचायतों में अभी भी 600 करोड़ की अनस्पेंड मनी है। इसे देखते हुए पंचायतीराज एवं ग्रामीण विकास विभाग ने करोड़ों की राशि खर्च करने के लिए समय सीमा तय कर दी है। विभाग के मुताबिक 31 मार्च तक अनस्पेंड मनी खर्च करने के निर्देश दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक पंचायतें अगर ये आदेश नहीं मानती हैं, तो विभाग संबंधित पंचायत के खिलाफ  कानूनी कार्रवाई अमल में लाते हुए पंचायत प्रधान को सस्पेंड भी कर सकती है या पंचायत द्वारा अपनी इस संवैधानिक ड्यूटी को अच्छी तरह से न निभाने पर सरकार संबंधित पंचायत को बर्खास्त भी कर सकती है। इसके संकेत सरकार ने दे दिए हैं। पंचायतों के पास इस समय विकास कार्यों का 600 करोड़ से अधिक का पैसा पिछले काफी समय से लंबित है, जिसे पंचायतें खर्च नहीं कर पाई हैं। इसमें अकेले 14वें वित्तायोग का 490 करोड़ रुपए लंबित है, जिसे पंचायतें अभी तक खर्च नहीं कर पाई हैं, इसकी वजह से योजनाओं का लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है। पंचायतों के पास पड़ा पैसा इस्तेमाल करने के लिए सरकार ने विभाग की टेक्टनीक विंग को एस्टिमेट तैयार करने को कह दिया है और 31 मार्च तक खर्च करने को कहा है।

जमीन भी है नहीं

पंचातयों को विकास कार्यों के लिए दिए गए पैसे खर्च न करने का जो सबसे बड़ा कारण सामने आया है, वह जमीन की उपलब्धता का न होना है। कई बार विकास कार्यों के लिए जारी किया गया पैसा कम होने की वजह से भी पंचायतें पैसे खर्च नहीं कर पाई हैं।

मनरेगा पर फोकस

पंचायतों का अधिक फोकस मनरेगा स्कीम के तहत जारी होने वाले बजट को खर्च करना है, इसलिए वह दूसरी अन्य स्कीमों पर ध्यान नहीं दे पा रहे, जिस वजह से पैसा खर्च नहीं हो पा रहा। बीडीओ द्वारा भी स्कीमों की सही ढंग से मॉनिटरिंग न कर पाने के कारण स्कीमों पर काम नहीं हो पा रहा और पैसा लंबित होता जा रहा है।

वजह यह भी

सरकार ने पांच लाख रुपए से कम तक के काम को आबंटित करने की शक्तियां पंचायतों को दे रखी हैं। पंचायतें टेंडर कॉल करके लोगों को काम आबंटित कर सकती है। पांच लाख से अधिक के कार्यों को ऑनलाइन टेंडर की प्रक्रिया के माध्यम से आबंटित किया जाता है।