पब्लिक सब जानती है

-डा. विनोद गुलियानी, बैजनाथ

एक विधायक-सांसद बनने के लिए उम्मीदवार को तीन चरणों से गुजरना पड़ता है। प्रथम टिकट प्राप्त करना, दूसरा चुनाव जीतना व तृतीय लोगों की आकांक्षाओं व वायदों के अनुरूप सच में जनसेवा करते हुए पूरा उतरना। पहले चरण को पार करने के लिए लॉबिंग, दिल्ली-शिमला में डेरा डालना इसमें खास महत्त्व रखता है, जो एक समाजसेवी या सच्चे देशभक्त के लिए नामुमकिन है। फिर भी येन केन प्रकारेण टिकट प्राप्त करने वालों को प्रथम बधाई। दूसरा मुख्य चरण जनता का आशीर्वाद प्राप्त कर अपने मुकाम पर पहुंचना रहता है। तृतीय व बहुत महत्त्वपूर्ण चरण चुने जाने के बाद जनमानस से किए वादे पूरे करते हुए वास्तव में सेवादार बनना बहुत जरूरी है, ताकि आम कार्यकर्ता व जनमानस ठगा सा महसूस न करें, अन्यथा यह पब्लिक है, यह सब जानती है। भाव सीधा  व स्पष्ट है कि जीत के मद से निकलें व जनसेवा में जुट जाएं।