पुलिस का सराहनीय कदम

सुखदेव सिंह

नूरपुर

पुलिस अगर अपनी शक्तियों का सही उपयोग निष्पक्ष रूप से करे तो समाज को अपराध मुक्त बनाया जा सकता है। हैदराबाद पुलिस ने बलात्कार के चारों आरोपियों को एनकाउंटर में मार गिराकर सराहनीय कार्य किया है। पुलिस के ऊपर किसी भी तरह की कोई जांच अब नहीं बैठाई जानी चाहिए। हैदराबाद पुलिस ने बलात्कार की घटना से उपजे विरोध को ही शांत नहीं किया है, बल्कि सरकार का खर्चा भी बचाया है। एनकाउंटर की इस घटना से आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों में भय का माहौल बनेगा। अमानवीय घटनाओं को अंजाम देने वाले लोगों के अधिकारों की रक्षा करना भी न-समझी ही कहा जा सकता है। पशु भी अपने ऊपर संयम रख लेते और आज का इनसान पशुओं से भी बदतर होकर बलात्कार की घटनाओं को अंजाम देकर नारी जाति को कलंकित कर रहा है। बड़े शर्म की बात है कि हवस के भेडि़ए बहू, बेटियों की इज्जत को तार-तार करके मानवता का गला घोंटते जा रहे हैं। बलात्कार मामलों के केस वर्षों तक न्यायालयों में ट्रायल पर चले रहते हैं और कब आरोपियों को सजा मिलेगी, कोई नहीं जानता। सरकारों के पास जेलें तो मौजूद हैं, मगर फांसी दिए जाने वाले जल्लादों की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। नतीजतन हवस के भेडि़यों को पुलिस सुरक्षा ही मुहैया नहीं करवाए रखती बल्कि उनकी खिदमत किए जाने को भी मजबूर रहती आ रही है। बलात्कार की बढ़ती घटनाओं से देश की छवि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धूमिल होकर रह गई है। कानून में संशोधन करके सजा को फांसी में तबदील किए जाने में क्यों लेट लतीफी की जाती रही है, जनता की समझ से परे है। बलात्कार की शिकार लड़कियों को अपनी इज्जत गंवाकर भी न्याय मंदिरों से न्याय नहीं मिल पा रहा है। कभी ऐसे मामलों की समय पर पुलिस में रिपोर्ट दर्ज नहीं की जाती तो कभी गवाह और सबूतों का अभाव मुख्य वजह बनती है।