प्रो. केशव राम शर्मा के बारे में विद्वानों के विचार

‘हिमाचल को अपने जन्म और कर्म से भूषित करने वाले महाकवि आचार्य केशव राम शर्मा हिमाचल के सर्वोच्च तथा भारतवर्ष के मूर्धन्य संस्कृत कवि हैं जिन्होंने हिमाचल-वैभवम्, भारतशतकम्, मातृभूमि-शतकम्, अभिनव कवितांजलि और भुवनेश्वरीचरितम् आदि उच्च कोटि के काव्य रचकर राष्ट्र को प्रदान किए हैं। अब उन्होंने वृहद भारतवर्ष के महान आदर्श पुरुष आचार्य शालग्राम शर्मा के अनुकरणीय जीवन एवं व्यक्तित्व पर ‘श्री शालग्राम चरितम्’ नामक महाकाव्य रचा है जो इस महाकवि की अद्भुत प्रभावोत्पादक एवं प्रांजल शैली में लिखी गई आनंदप्रसवी एवं प्रेरणादायक रचना है। ऐसी विशिष्टताओं के कारण ही महाकवि श्री केशव राम शर्मा को अब तक कई पुरस्कार मिल चुके हैं। अब हिमाचल सरकार की भाषा, कला अकादमी द्वारा इस महाकाव्य के लिए उनको दिया जाने वाला संस्कृत साहित्य पुरस्कार इस पुरस्कार शृंखला में जुड़ गया है।’

-डा. कुमार सिंह सिसोदिया, पूर्व प्रिंसीपल, स्नातकोत्तर संस्कृत महाविद्यालय, सोलन

‘धन्य है यह अनूठा महाकाव्य, धन्य है इसका अनुपम रचयिता कवि, धन्य है इसका पुराण प्रवक्ता धीर-प्रशांत नायक तथा धन्य हूं मैं जिसे मुद्रण-प्रकाशन से पूर्व ही इस सौष्ठव संपन्न अद्वितीय कृति की पावन पुनीत धारा में अवगाहन का अवसर प्राप्त हुआ। इस महाकाव्य के विद्वान प्रणेता का अभिवादन-अभिनंदन करने में मैं अपना अहोभाग्य समझता हूं। द्वितीय सर्ग में शालग्राम के ग्राम की सुषमा का वर्णन, जगदंबा का स्तुतिगान (नौवें सर्ग के 19वें से 34वें श्लोक तक) तथा ज्ञान की महिमा का प्रतिपादन छठे सर्ग में पांचवें सर्ग से नौवें श्लोक तक हुआ है। ऐसे प्रसंगों से महाकाव्य की श्रीवृद्धि हुई है। प्रकृत काव्य की भाषा सरल प्रांजल है, सुगम सुबोध है, कवि के मंतव्य को स्पष्ट करने में पूर्णतः सक्षम है। शैली लालित्यपूर्ण है। कई जगह अनेक अलंकारों का लास्य देखने को मिलता है। ऐसे प्रयोगों से प्रस्तुत काव्य की अपूर्व छटा अधिकाधिक मनोरम होकर उपस्थित हुई है।’

-केसी शर्मा, आईएएस