बच्चों की सुरक्षा के लिए जरूरी बातें

आप अपने बच्चों का कितना खयाल रखती हैं। आपका जवाब होगा, बहुत ज्यादा। आपकी बात में सच्चाई भी है। पर, क्या  साइकोलॉजिस्ट डा. नीलिमा पांडेय की मानें तो चाइल्ड एब्यूज का हल ढूंढ़ने की राह अभिभावक से ही शुरू होती है और वहीं खत्म भी हो जाती है। अगर आपका बच्चा आपको अपने साथ हुई किसी घटना या किसी जान-पहचान वाले व्यक्ति के व्यवहार के बारे में कोई बात कहता है, तो उसे डांटने-फटकारने की जगह उसकी बात सुनें। उसके बाद अपने स्तर पर छानबीन करने की कोशिश करें। सबसे पहले यह स्वीकार करना जरूरी है कि चाइल्ड एब्यूज एक बड़ी समस्या है और इसका शिकार कोई भी बच्चा हो सकता है। ऐसे कौन-से लक्षण हैं, जिनके आधार पर आप यह अंदाजा लगा सकती हैं कि आपका बच्चा परेशानी में है। चाइल्ड एब्यूज का शिकार बच्चा अगर थोड़ी बड़ी उम्र का है, तो वह गुमसुम हो जाता है। वह खुद में खोया रहता है। अपनी बात किसी से शेयर नहीं करता। बेहद कम उम्र के बच्चे चाइल्ड एब्यूज का शिकार होते हैं। वे सेक्सुअल हाव-भाव करने लगते हैं और वैसी ही भाषा का प्रयोग भी करने लगते हैं। इन लक्षणों को समय रहते पहचानें और उनका कारण जानने की कोशिश करें।

क्या हैं उपाय  : आपको अपने बच्चे को एक ऐसा माहौल देना होगाए जिसमें वे अपनी किसी भी समस्या के बारे में आपको बता सकें। अगर, चाइल्ड एब्यूज के शिकार बच्चे को सही देखभाल और काउंसलिंग नहीं मिलती है, तो वे पूरी जिंदगी किसी पर भी विश्वास नहीं कर पाते हैं। उनका आत्मविश्वास लगभग खत्म हो जाता है। इसलिए, एक पेरेंट के रूप में यह जरूरी है कि आप उन्हें और उनकी बातों को इज्जत दें। यह विश्वास करें कि वे जो कह रहे हैं, वह सब बातें सच हैं। ये जरूरी है कि हम बच्चों को सिखाएं कि बड़ों का कौन-सा व्यवहार सामान्य है और कौन-सा असामान्य। उन्हें सिखाएं कि वे कभी भी किसी चीज के लालच में न आएं। सबसे जरूरी है, बच्चे के साथ संवाद कायम रखना। हर मामले में बच्चे को ज्यादा टोकने से संभव है कि वह अपने जीवन में घट रही अच्छी बातों के साथ-साथ बुरी बात भी आपसे शेयर न करें। बच्चे के मन से किसी भी तरह के डर को निकालना बेहद जरूरी है, तभी वह अपनी सब बात आपसे शेयर कर पाएगा।