बाबा बालकनाथ मंदिर मैहरी

बिलासपुर जनपद मुख्यालय से उत्तर दिशा में करीब चालीस किलोमीटर की दूरी पर घुमारवी लदरौर वाया बस सड़क संपर्क मार्ग पर बाबा बालकनाथ का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। मंदिर में वर्णित सूचना पट्ट व ग्रामीणों के अनुसार इस स्थान पर स्थित विशालकाय पीपल के वृक्ष के चारों और सन् 1917 को धार्मिक विचारों से प्रभावित संती देवी (थले वाली) ने टियाला बनवाया था। सावन मास में यहां हिडोले व पींगे डलवाकर निःस्वार्थ समाजसेवा को वह ईशभक्ति मानती थी। गर्मियों में यहां मीठे जल का परो (मटकों का स्थान) भी लगाया जाता था। उसी थले वाली के नाम से प्रसिद्ध संती देवी ने दियोटसिद्ध बाबा बालकनाथ मंदिर से पूजा-अर्चना सहित लाए गए पाषाण मूर्ति चिन्ह से इस मंदिर की स्थापना की बताई जाती है। कालांतर में पुराने पीपल के वृक्ष के सूख जाने पर इसी धार्मिक परिपाटी का वहन करते हुए ग्रामवासियों ने 5 जनवरी, सन् 1975 को वर्तमान पीपल के वृक्ष को रोपित किया। प्रतिवर्ष प्रसिद्ध कथावाचकों के मुखारबिंद से यहां 31 मार्च से 8 अप्रैल तक भागवत कथा सप्ताह का करीब चार दशकों से आयोजन होता आ रहा है। मंदिर कमेटी मैहरी दानी सज्जनों के सहयोग से इस मंदिर के विकास हेतु प्रयासरत है। बाबा बालकनाथ की मूर्ति की स्थापना 4 फरवरी सन् 1996 को की गई है। मंदिर प्रांगण में संगमरमर टाइलें व वर्षा, धूप से बचाव हेतु नालीदार स्पाट शैड भी लगाई गई है। मंदिर में भगवान गणेश, शिवलिंग, हनुमान, नंदी बैल, भैरो नाथ की मूर्तियां हैं । मंदिर की दीवारों पर भी देवी-देवताओं की मूर्तियां व ठाई माता की मूर्ति विद्यमान है। विवाह, यज्ञ आदि पर्वों पर भक्तगण बाबा जी का आशीर्वाद लेना कभी नहीं भूलते हैं। मंदिर में प्रतिदिन सुबह-शाम आरती का आयोजन होता है।  दानी सज्जनों ने पेयजल की सुलभ व्यवस्था हेतु पानी की टंकियों का भी निर्माण करवाया है। सच्ची श्रद्वा व विश्वास से बाबा बालकनाथ मंदिर मैहरी में शीश झुकाने से सभी की  मनोकामना पूर्ण होती है। मंदिर में भक्तों की अटूट श्रद्धा और आस्था है।

-रवि कुमार सांख्यान, बिलासपुर