बिजली बोर्ड में इंजीनियरों की फौज कर रही मौज

शिमला – बिजली बोर्ड में इंजीनियरों की फौज पूरी मौज में है, क्योंकि यहां पर उनकी प्रोमोशन के लाभ कभी नहीं रुकते। यही वजह है कि यहां पर 31 तो चीफ इंजीनियर ही हो चुके हैं और इनके अधीनस्थ सभी अभियंताओं को तय अवधि में उनके प्रोमोशनल लाभ दिए जा रहे हैं। अभियंताओं के इस तरह के लाभ तो ठीक हैं, मगर यहां पर काम करने वाले दूसरी श्रेणियों के कर्मचारियों व अधिकारियों को तय समय पर लाभ नहीं मिल रहे हैं। इनके देय लाभ प्रदान करने में बिजली बोर्ड का प्रबंधन आखिर क्यों दिलचस्पी नहीं लेता है, यह एक बड़ा सवाल है। बिजली बोर्ड में आज मिनिस्ट्रीयल स्टाफ के कर्मचारियों व अफसरों के कई प्रोमोशनल लाभ रुके हुए हैं। यहां पर तकनीकी कर्मचारियों को भी समय पर इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। बार-बार मामले उठाए जाते हैं और आश्वासन मिलते हैं, परंतु सर्विस कमेटी की बैठक में मामले ही नहीं उठते और अगली बैठक का आश्वासन दे दिया जाता है। यहां पर इंजीनियर बहुल प्रबंधन है और जो अधिकारी प्रशासनिक सेवाओं से हैं, वे भी कर्मचारियों के हित में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। ऐसे आरोप बिजली बोर्ड की अलग-अलग यूनियनें लगाती हैं। तकनीकी कर्मचारियों ने तो सर्विस कमेटी की बैठक करने और जिन मांगों पर आश्वासन दिया गया है, उनको पूरा करने को लेकर चेतावनी दी है। 27 दिसंबर को सर्विस कमेटी की बैठक तो रखी गई है, मगर इसमें भी कई ऐसे मामले नहीं हैं, जो दूसरी श्रेणियों के कर्मचारियों से जुड़े हैं। इस बार भी यदि इनके मामलों को नहीं निपटाया जाता है, तो इनके पास अदालत का दरवाजा खटखटाने के सिवाय कोई रास्ता नहीं है। बताया जा रहा है कि अभियंताओं को उनके लाभ आउट ऑफ टर्न भी दिए जा रहे हैं। जो अभियंता रिटायर होने वाला होता है, उसे दो दिन पहले भी ऐसा लाभ दे दिया जाता है कि उसके दो साल बढ़ जाते हैं। दूसरी तरफ किसी को उसके देय लाभ ही नहीं मिल पाते हैं। ऐसी परिस्थितियों में बिजली बोर्ड प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर लगातार सवाल उठे रहे हैं। जिनका जवाब कोई नहीं दे रहा है।