सीमा की निगरानी के लिए BSF ने बढ़ाई है रणनीतिक क्षमता: DG
बीएसएफ के 55वें स्थापना दिवस पर बीएसएफ कैंप में रेजिंग डे इवेंट को संबोधित करते हुए जौहरी ने कहा कि फोर्स ने अपनी ‘रणनीतिक क्षमता’ को बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश से सटी 6,386 किलोमीटर की सीमा पर निगरानी के लिए फोर्स ने नई तकनीक और इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करके अपनी ‘रणनीतिक क्षमता’ का विस्तार किया है।
ड्रोन्स के खतरे से निपटने के लिए उठा रहे अहम कदम: DG
बीएसएफ के डीजी ने कहा कि हाल के समय में कश्मीर में नियंत्रण रेखा (LoC) और पंजाब में इंटरनैशनल बॉर्डर बहुत ‘संवेदनशील’ बन गए हैं। जौहरी ने कहा, ‘हाल के समय में हमें पश्चिमी सीमा (पाकिस्तान के साथ) पर ड्रोन्स की गतिविधियों के बारे में रिपोर्ट्स मिली हैं और हम इसके टेक्निकल सलूशन (तकनीकी समाधान) पर काम कर रहे हैं और इससे निपटने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं।’
‘नापाक मंसूबों को नाकाम करने के लिए BSF सतर्क’
डीजी जौहरी ने आगे कहा कि भारत-विरोधी ताकतें लगातार सीमापार घुसपैठ की कोशिशें कर रही हैं और बीएसएफ इन कोशिशों को नाकाम करने के लिए हर वक्त सतर्क है। बता दें कि बीएसएफ की स्थापना 1 दिसंबर 1965 को हुई थी और इसका मुख्य काम भारत-पाकिस्तान सीमा की निगरानी करना है। इसके अलावा आंतरिक सुरक्षा के मोर्चे पर भी बीएसएफ अहम भूमिका निभाती है। बीएसएफ में करीब ढाई लाख अफसर और जवान हैं।
पाकिस्तानी ड्रोन्स से हथियार गिराने की कई घटनाएं सामने आई हैं
दरअसल, हाल के समय में पंजाब में भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तान की तरफ से ड्रोन्स के जरिए हथियारों और ड्रग्स को गिराने की कई घटनाएं सामने आई हैं। यह खतरा इसलिए भी गंभीर है कि यह पंजाब में खालिस्तानी आतंकवाद को फिर से जिंदा करने की पाकिस्तान की नापाक साजिश का भी हिस्सा हो सकता है। एक दिन पहले ही पाकिस्तान के एक शीर्ष मंत्री ने कबूला था कि करतारपुर कॉरिडोर पाक आर्मी चीफ जनरल बाजवा के दिमाग की उपज है और इससे भारत को ऐसा नुकसान पहुंचेगा कि उसके जख्मों को नई दिल्ली हमेशा याद रखेगी।