भ्रष्टाचार में और कमी जरूरी

डा. जयंतीलाल भंडारी

विख्यात अर्थशास्त्री

97 फीसदी भारतीय मानते हैं कि आधार कार्ड की वजह से सरकारी राशन, सरकार के द्वारा किसानों को दी जाने वाली सहायता राशि और मनरेगा जैसे भुगतान काफी हद तक भ्रष्टाचार शून्य हो गए हैं और दो-तिहाई से अधिक लोग यह मानते हैं कि आधार कार्ड सरकार की एक अच्छी कोशिश है। यह उल्लेखनीय है कि ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट 2019 के तहत कई महत्त्वपूर्ण बातें प्रस्तुत हुई हैं। पिछले वर्ष 2018 में 56 फीसदी नागरिकों ने कहा था कि उन्होंने रिश्वत दी है, जबकि इस वर्ष 2019 में ऐसे लोगों की संख्या घटकर 51 फीसदी रह गई है…

इन दिनों देश और दुनिया के अर्थविशेषज्ञ यह कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाने तथा विकास के ऊंचे सपने को साकार करने के लिए दो बातें सबसे जरूरी हैं। एक, भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी में तेजी से कमी लाना और देश की नौकरशाही को जवाबदेह बनाना। वस्तुतः सरकार के कई प्रयासों के बाद भी भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी देश की बड़ी आर्थिक-सामाजिक बुराई बने हुए हैं। इससे देश का विकास प्रभावित हो रहा है। हाल ही में 26 नवंबर को ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के द्वारा वर्ष 2019 की दुनिया के 180 देशों की भ्रष्टाचार के मामले में प्रकाशित की गई सूची में भारत को 78वें स्थान पर रखा गया है। भ्रष्टाचार के मामले में ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की सूची में भारत की रैंकिंग पिछले साल के मुकाबले तीन पायदान सुधरी है। पिछले वर्ष भारत 81वें क्रम पर था।  निश्चित रूप से भारत में भ्रष्टाचार में कुछ कमी आई है। इस परिप्रेक्ष्य में दुनिया की ख्यातिप्राप्त शोध अध्ययन संस्था टॉलबर्ग के हाल ही में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार 97 फीसदी भारतीय मानते हैं कि आधार कार्ड की वजह से सरकारी राशन, सरकार के द्वारा किसानों को दी जाने वाली सहायता राशि और मनरेगा जैसे भुगतान काफी हद तक भ्रष्टाचार शून्य हो गए हैं और दो तिहाई से अधिक लोग यह मानते हैं कि आधार कार्ड सरकार की एक अच्छी कोशिश है।  यह उल्लेखनीय है कि ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट 2019 के तहत कई महत्त्वपूर्ण बातें प्रस्तुत हुई हैं। पिछले वर्ष 2018 में 56 फीसदी नागरिकों ने कहा था कि उन्होंने रिश्वत दी है, जबकि इस वर्ष 2019 में ऐसे लोगों की संख्या घटकर 51 फीसदी रह गई है। खासतौर से देश में पासपोर्ट और रेल टिकट जैसी विभिन्न आम आदमी से जुड़ी सुविधाओं में डिजिटलीकरण और कम्प्यूटरीकरण किए जाने से रिश्वत और भ्रष्टाचार में कमी आई है। इस सर्वेक्षण में यह बात भी उभरकर आई कि सरकारी दफ्तरों में अभी भी बड़े पैमाने पर रिश्वतखोरी की जा रही है। उल्लेखनीय है कि देश में भ्रष्टाचार की जानकारी देने वाले इस सर्वेक्षण में कहा गया है कि केंद्र सरकार के कार्यालयों के साथ-साथ राज्य सरकारों के कार्यों में भी भ्रष्टाचार बढ़ा हुआ है। परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में लोग रिश्वत को एक सुविधा शुल्क के रूप में मान्य करने लगे हैं। ऐसे लोगों की संख्या 2018 में 22 फीसदी थी। वर्ष 2019 में ऐसा मानने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 26 फीसदी हो गई है। सर्वेक्षण में 26 फीसदी लोगों ने यह भी माना कि प्रापर्टी रजिस्ट्रेशन और जमीन से जुड़े मामलों में उन्हें रिश्वत देनी पड़ी है। इसी तरह 19 फीसदी लोगों ने माना कि उन्हें पुलिस विभाग में रिश्वत देनी पड़ी।

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के सर्वे 2019 में यह भी बताया गया कि भ्रष्टाचार और रिश्वत के मामले में दिल्ली, हरियाणा, गुजरात, पश्चिम बंगाल, केरल और उड़ीसा कम भ्रष्ट राज्य हैं जबकि राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, झारखंड और पंजाब सबसे भ्रष्ट राज्य हैं। वस्तुतः देश में भ्रष्टाचार का बड़ा कारण सरकार के कई विभागों में ऐसे अधिकारी और कर्मचारी बड़ी संख्या में हैं, जो अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल करते हैं और करदाताओं को बेवजह परेशान करते हैं। इस परिप्रेक्ष्य में सरकार ने भ्रष्टाचार और अवैध गतिविधियों में संलिप्त अधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाने का जो अभियान चलाया है, उसे विस्तृत रूप दिए जाने की जरूरत है। गौरतलब है कि हाल ही में 26 नवंबर को वित्त मंत्रालय ने कहा कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ‘सीबीडीटी’ ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों की सेवा नियमावली के नियम 56 ‘जे’ के तहत जनहित में बी समूह के 21 आयकर अधिकारियों को भ्रष्टाचार और दूसरे आरोपों में अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर भेज दिया है। इसी के साथ 85 कर अधिकारियों को बाहर किया जा चुका है। यहां यह भी महत्त्वपूर्ण है कि देश में नौकरशाही को रिश्वत और भ्रष्टाचार से बचाने तथा नौकरशाही की जवाबदेही के लिए केंद्र सरकार को अधिक प्रयास करने होंगे। निःसंदेह देश के आईएएस अधिकारियों को उनकी अचल संपत्ति घोषित कराने की डगर पर आगे बढ़ी है। देश में 5205 आईएएस में से जिन 444 ने अपनी अचल संपत्ति संबंधी जानकारी अब तक नहीं दी है उन्हें केंद्र सरकार ने कहा है कि 31 जनवरी 2020 तक ऐसी जानकारी न देने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। 

देश में नौकरशाही में सुधार के लिए विभिन्न क्षेत्रों की पेशेवर प्रतिभाओं को सरकारी तंत्र में लेटरल एंट्री से प्रशासन से जुड़ने और सहभागी बनने के दायरे को तेजी से बढ़ाया जाना जरूरी है। पिछले दिनों केंद्र सरकार के निर्देश पर कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने अधिकारियों को विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखने वाले निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों को उपसचिव और निदेशक स्तर के पदों पर भर्ती करने के औपचारिक प्रस्ताव तैयार करने को कहा है। यह नियुक्तियां नीति आयोग के द्वारा की जाएंगी। अमरीका, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड जैसे कई देशों में निजी क्षेत्र के पेशेवरों का प्रयोग पर्याप्त रूप में  सफल दिखाई दिया है। उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार के पहले भी विभिन्न प्रधानमंत्रियों के द्वारा कुछ-कुछ प्रतिभाओं और पेशेवरों को सरकार के कार्यों में सहयोग हेतु जिम्मेदारी सौंपी जाती रही है। यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल में नंदन नीलेकणी को लाया गया और उन्हें आधार के लिए अधिकार दिए गए।

इंदिरा गांधी भी नियमित रूप से कारोबारी जगत की प्रतिभाओं को बेहतर उपयोग में लाती रही। दूरसंचार में क्रांति के लिए राजीव गांधी सैम पित्रोदा को लाए। अटल बिहारी वाजपेयी ने आरण वीण शाही को बिजली सचिव की महत्त्वपूर्ण भूमिका दी थी। जिनके बेहतर नतीजे देखने को मिल रहे हैं। नरसिंहा राव भी हरसंभव बेहतरीन प्रतिभाएं जुटाने में सफल हुए। वह मनमोहन सिंह को लाए और उन्हें सीधे वित्तमंत्री बना दिया। मनमोहन सिंह के वित्त सचिव मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। ऐसे में अब लैटरल एंट्री से देश और विदेश की कुशल प्रतिभाओं और पेशेवरों का प्रशासन तथा सरकारी कार्य में सहयोग लेने का अभियान अवश्य लाभप्रद हो सकता है। हम आशा करें कि केंद्र और राज्य सरकारें देश के विकास के मद्देनजर ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल रिपोर्ट 2019 के तहत भारत में भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के चिंताजनक 78वें क्रम को ध्यान में रखते हुए भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी को कम करने के लिए और अधिक कारगर प्रयास करेंगी। हम आशा करें कि सरकार नौकरशाही में सुधार और नौकरशाही में लैटरल एंट्री के कदम को आगे बढ़ाएगी। ऐसे में भ्रष्टाचार में कमी और नौकरशाही का बदला हुआ चेहरा नई पेशेवर क्षमता के साथ चमकीले भारत के सपने को मूर्तरूप देने तथा देश को विकसित देश और आर्थिक शक्ति बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए दिखाई दे सकेगा।