सर्दी में नवजात की देखभाल

जन्म के बाद पहले साल में बच्चों को विशेष देखभाल की जरूरत होती है, क्योंकि उनकी स्किन काफी डेलिकेट और नर्म होती है। बच्चे की स्किन और चेहरे की देखभाल  करने  का मतलब केवल चेहरे की स्किन से नहीं, बल्कि पूरे शरीर की स्किन से है। जरा सी भी असावधानी से बच्चे की स्किन में बहुत प्रकार के इन्फेक्शन हो सकते हैं। ऐसे में बच्चे के नहाने के साबुन से लेकर, उसे पहनाए जाने वाले कपड़ों, उसके लोशन व पाउडर और मालिश के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले तेल तक का ध्यान रखना चाहिए। इन सब को चुनते और इस्तेमाल करते समय आपको खास सावधानी बरतनी चाहिए।

म्वाइस्चराइजर का प्रयोग- बच्चों के लिए हमेशा बेबी सोप का प्रयोग करना चाहिए क्योंकि बेबी सोप हार्ड नहीं होता और बच्चों की स्किन को नमी भी प्रदान करता है। बच्चों के लिए ऐसी कॉस्मेटिक क्रीम का प्रयोग भी न करें जिससे बच्चे की स्किन में इन्फेक्शन हो। मौसम के अनुसार नहाने से पहले तेल मालिश करने से उनकी बच्चे की स्किन नर्म और साफ  रहती है। बेहतर रहेगा यदि हम चिकित्सक की सलाह पर बच्चे की स्किन की नमी बरकरार रखने के लिए हल्का म्वाइस्चराइजर का प्रयोग करें। सबसे ज्यादा ध्यान बच्चे की स्किन पर होने वाली  रैशेज और इन्फेक्शन का रखें।

साबुन का प्रयोग- बच्चे के जन्म के बाद उसे हल्के गर्म पानी से नहला सकते हैं। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है वह फर्श पर घुटनों के बल चलने की कोशिश करने लगता है, जिस वजह से उसके हाथ की हथेलियों और घुटने से नीचे के पैर अकसर गंदे हो जाते हैं ऐसे में स्किन संक्रमण का डर रहता है। स्किन संक्रमण से बचाने के लिए बच्चे की नहाने से पहले किसी हलके तेल से मालिश और उसके बाद बेबी सोप व गुनगुने पानी में नहलाना, बच्चे की स्किन को फायदा पहुंचाता है। म्वाइस्चराइजर युक्त माइल्ड सोप का ही इस्तेमाल करें।

डायपर का प्रयोग- आजकल बाजार में कई प्रकार के डायपर आने लगे हैं। क्योंकि बच्चों की दिनचर्या का कोई समय नहीं होता है इसलिए एक दिन में 8 से 10 बार डायपर बदलना होता है। अगर आप बच्चे का डायपर नहीं बदलेंगे, तो बच्चे को डायपर रैशेज होने की संभावना होती है। डायपर रैशेज को रोकने के लिए सही डायपर का चुनाव करना भी बहुत जरूरी होता है। गीली स्किन पर जल्दी ही  रैशेज और खुजली हो जाती है। जब स्किन सूख जाए तभी डायपर बदलें। बेबी पाउडर का इस्तेमाल करें। अत्याधिक नमी संक्रमण का कारण बनती हैं।