सीने में दर्द से राहत के लिए योगासन

यूं तो सीने में दर्द के कई कारण होते हैं। इनमें आपके दिल संबंधी, फेफडे़ संबंधी व मांसपेशियों संबंधी कारण अधिक होते हैं। लेकिन अकसर देखने में आता है कि ठंड के मौसम में लोगों को सीने में दर्द की शिकायत अधिक होती है और इसका कारण होता है ठंड की वजह से सीने में जकड़न। इस तरह होने वाले सीने के दर्द को योगासन के जरिये आसानी से ठीक किया जा सकता है। तो चलिए आज हम आपको इन्हीं योगासनों के बारे में बता रहे हैं।

सूक्ष्म व्यायाम

योगासन की शुरुआत आप सूक्ष्म व्यायाम से करें। सभी ज्वाइंट्स को नेचुरल मूवमेंट देना ही दरअसल सूक्ष्म व्यायाम कहलाता है। इसलिए आप अपने शरीर के ज्वाइंट्स को आराम से और सही तरह से मूव करें। इसके अलावा आप बिस्तर से उठते समय अंगड़ाई लेकर उठने की आदत डालें। इससे भी आपके ज्वाइंट्स खुलते हैं।

भस्त्रिका प्राणायाम

सीने में दर्द से राहत के लिए गहरी सांस काफी कारगर होती है। ऐसे में आप भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास जरूर करें। पद्मासन या फिर सुखासन में बैठ जाएं। कमर, गर्दन, पीठ एवं रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए शरीर को बिलकुल स्थिर रखें। इसके बाद बिना शरीर को हिलाए दोनों नासिका छिद्र से आवाज करते हुए श्वास भरें। ऐसे करते हुए ही श्वास को बाहर छोड़ें। अब तेज गति से आवाज लेते हुए सांस भरें और बाहर निकालें। हमारे दोनों हाथ घुटने पर ज्ञान मुद्रा में रहेंगे और आंखें बंद रहेंगी। अगर आप चाहते हैं कि इस प्राणायाम से आपको बेहतर परिणाम मिले, तो आप श्वास भीतर लेने के बाद कुछ देर रोकने का प्रयास करें। इससे शरीर में आक्सीजन की मात्रा भरपूर हो जाती है और साथ ही सीने में जकड़न भी कम होती है। चेस्ट रिजन के मस्सल्स मजबूत होते हैं और ब्लड सर्कुलेशन भी बेहतर होता है। इसके साथ ही आपका शरीर तरोताजा महसूस करता है और प्राणायाम करने से शरीर बिलकुल फिट रहता है।

सूर्य नमस्कार

 सूर्य नमस्कार में 12 आसनों का अभ्यास किया जाता है। सूर्य नमस्कार के अभ्यास से सिर्फ  सीने में दर्द ही नहीं, बल्कि अन्य कई बीमारियों से भी आपको छुटकारा मिलता है।

प्रणामासन

इसके लिए सर्वप्रथम छाती को चौड़ा और मेरूदंड को खींचें। एडि़यां मिली हुई हों और दोनों हाथ छाती के मध्य में नमस्कार की स्थिति में जुड़े हों और गर्दन तनी हुई व नजर सामने हो। अब आराम से श्वास लें और इस मुद्रा में केवल कुछ क्षण ही रुकें।

हस्तउत्तानासन

अब सांस को धीरे से अंदर खींचते हुए हाथों को ऊपर की ओर ले जाएं और हथेलियों को मिलाए रखें। अब जितना ज्यादा हो सके, कमर को पीछे की ओर मोड़ते हुए अर्धचंद्राकार बनाएं। जितनी देर संभव हो, श्वास को रोकने का प्रयास करें। यह आसन फेफड़ों के लिए काफी अच्छा माना जाता है और इसके साथ ही रक्त संचार भी बढ़ता है।

अश्वसंचालन आसन

अब श्वास भरते हुए दोनों हाथों को मैट पर रखें और नितंबों को नीचे करें। सीधे पैर को खींचते हुए जितना ज्यादा हो सके, पीछे की ओर रखें। अब पैर को सीधा मैट के ऊपर रखें और वजन पंजों पर रखें। आप चाहे तो घुटना मोड़कर भी मैट पर रख सकते हैं। अब ऊपर देखते हुए गर्दन पर खिंचाव को महसूस करें। यह बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने में मददगार है। धीरे-धीरे श्वास छोड़ें और उल्टे पैर को पीछे लेकर जाएं। इस दौरान हाथों को सीधा कंधों की चौड़ाई के बराबर मैट पर रखें।