सैन्य अफसर देने में हिमाचल अव्वल

रोहित पराशर 

लेखक, शिमला से हैं

हिमाचल की आबादी देश की आबादी का मात्र 0.057 फीसदी  है, लेकिन इसके बावजूद हर साल देश की तीनों सेनाओं में हिमाचल के 100 से अधिक सैन्य अफसर बनकर देश की सरहदों की रक्षा करने जा रहे हैं। हाल ही में आईएमए की पासिंग आउट परेड में हिमाचल के 18 कैडेट सैन्य अफसर बनकर निकले हैं। जबकि जून माह में हिमाचल की वीरभूमि ने देश को 21 वीर अफसर दिए हैं…

चाहे बात देश में सर्वप्रथम सेना के सबसे बड़े सम्मान परमवीर चक्र पाने की हो या किसी भी युद्ध में अपने साहस और बलिदान का लोहा मनवाने की, इसमें छोटा सा पहाड़ी राज्य हिमाचल हमेशा अग्रिम पंक्ति में रहा है। देश में पहला परमवीर चक्र हिमाचल के सपूत मेजर सोमनाथ शर्मा ने पाया था। अभी तक हिमाचल के वीर सपूत कुल चार सर्वोच्च सम्मान पा चुके हैं। इतना ही नहीं सेना में अफसर देने में हिमाचल प्रदेश पिछले कई दशकों से टॉप टेन में जगह बनाए हुए है। हिमाचल की आबादी देश की आबादी का मात्र 0.057 फीसदी  है, लेकिन इसके बावजूद हर साल देश की तीनों सेनाओं में हिमाचल के 100 से अधिक सैन्य अफसर बनकर देश की सरहदों की रक्षा करने जा रहे हैं। हाल ही में आईएमए की पासिंग आउट परेड में हिमाचल के 18 कैडेट सैन्य अफसर बनकर निकले हैं। जबकि जून माह में हिमाचल की वीरभूमि ने देश को 21 वीर अफसर दिए हैं। यदि पिछले दस सालों के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो इन सालों में हिमाचल जैसे छोटे से पहाड़ी राज्य ने अकेली भारतीय थल सेना के लिए आईएमए से कैडेट सैन्य अफसर के तौर पर 400 से अधिक अफसर दे दिए हैं। वहीं ओटीए, एनडीए और टैक एंट्री के माध्यम से भी हर साल हिमाचल के दर्जनों युवा देश की सेनाओं में जा रहे हैं। सेना में अफसर देने के मामले में हिमाचल प्रदेश देश के कई बड़े राज्यों को कई वर्षों से लगातार पीछे छोड़ रहा है। सेना को अफसर देने में इस बार भी पंजाब हमसे पीछे है। पंजाब से 11, तमिलनाडु से 9, दिल्ली से 16, केरल से 10, जम्मू-कश्मीर से 6, मध्य प्रदेश से 10, कर्नाटक से 7, पश्चिम बंगाल से 6, आंध्र प्रदेश से 6, मणिपुर, चंडीगढ़, गुजरात और झारखंड से 4-4, आसाम से 2 और मिजोरम, ओडिसा, सिक्किम और अंडमान निकोबार से 1-1 जांबाज सैन्य अफसर बने हैं। जब देश पर मर मिटने की बात आती है तो इसमें हिमाचल का कोई सानी नहीं।

भारतीय सेना को हिमाचल ने एक से बढ़कर एक शूरवीर दिए हैं। कारगिल युद्ध में चाहे वह शहीद कैप्टन विक्रम बतरा और सौरभ कालिया हो या पहला परमवीर चक्र हासिल करने वाले मेजर सोमनाथ शर्मा। हिमाचल के सपूतों को कुल 998 वीरता चक्र मिल चुके हैं। अभी तक चार सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र 2, अशोक चक्र 10, महावीर चक्र 21, कीर्ति चक्र 55, वीर चक्र 92, शौर्य चक्र 453, सेना, वायुसेना और नौसेना मेडल 164, बहादुरी पुरस्कार और अन्य 197 मेडल मिल चुके हैं। इसके अलावा आजादी से पहले भी हिमाचल के वीर जवानों को दो विक्टोरिया क्रास और जॉर्ज क्रास सम्मान प्राप्त हो चुका है। देश का पहला परमवीर चक्र मेजर सोमनाथ शर्मा को मिला था जबकि इसके बाद कारगिल वार में कैप्टन विक्रम बतरा और रायफल मैन संजय कुमार को भी यह सम्मान मिल चुका है। इसके अलावा भंडारी राम और लाला राम को विक्टोरिया क्रॅस और नायक किरपा राम को जॉज क्रॅस सम्मान मिल चुका है।

कारगिल युद्ध में हिमाचल के 52 जवानों ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया है जिसके लिए देश उनका हमेशा ऋणी रहेगा। वहीं कारगिल युद्ध में अहम भूमिका निभाने वाले ब्रिगेडियर खुशहाल ठाकुर के योगदान को भी भुलाया नहीं जा सकता है। थल सेना की डोगरा रेजिमेंट में 75 फीसदी भागीदारी हिमाचल की है। इतना ही नहीं वर्तमान में हिमाचल प्रदेश में एक लाख 10 हजार से अधिक सेवानिवृत्त सैनिक हैं। जबकि युद्ध विधवा एवं पूर्व सैनिकों की सामान्य विधवाओं की संख्या लगभग 33 हजार है। देश की सीमाओं की रक्षा के लिए दिए गए योगदान को देखते हुए प्रदेश सरकार सेवारत सैनिकों और पूर्व सैनिकों व उनके आश्रितों के कल्याण के लिए अनेक कार्य कर रही है। सेवारत सैनिकों व पूर्व सैनिकों को राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए सैनिक कल्याण विभाग और पूर्व सैनिक कल्याण बोर्ड कार्य कर रहा है। राज्य सरकार ने पूर्व सैनिकों को रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए विशेष रोजगार कक्ष स्थापित किया है, जो पूर्व सैनिकों को सेवानिवृत्ति के उपरांत रोजगार दिलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा पूर्व सैनिकों को सरकारी सेवाओं में 15 प्रतिशत का आरक्षण प्रदान किया जा रहा है। पूर्व सैनिक कल्याण बोर्ड के चेयरमैन ब्रिगेडियर खुशहाल ठाकुर का कहना है कि देश की सेनाओं में हिमाचल के जवानों का बहुत अधिक योगदान है। प्रदेश के युवाओं को सेना में अधिक प्रतिनिधित्व मिल सके, इसके लिए भर्ती के कोटा यानी रिक्रूटेबल मेल पॉप्युलेशन को बढ़ाया जाना चाहिए और प्रदेश के लिए एक अलग से रेजिमेंट का गठन करने की मांग भी केंद्र सरकार के समक्ष रखी गई है। ब्रिगेडियर खुशहाल ठाकुर का कहना है कि सेवानिवृत्त जवानों को रोजगार दिलवाने के लिए बोर्ड की ओर से अनेक कदम उठाए गए हैं जिनका फायदा जवानों को मिल रहा है। सेनाओं में देश की सेवा करने वाले जवानों के लिए प्रदेश सरकार ने वर्ष 2016-17 के बजट में परमवीर चक्र विजेताओं तथा अशोक चक्र विजेताओं को दी जाने वाली एक मुश्त राशि 25 लाख रुपए से बढ़ाकर 30 लाख रुपए कर दी है। प्रदेश सरकार द्वारा सेना मेडल मेन्शन-इन-डिस्पेच के विजेताओं की वार्षिक राशि को भी 3000 रुपए से बढ़ाकर 5000 रुपए किया गया है। राज्य सरकार ने धर्मशाला स्थित युद्ध स्मारक संग्राहलय के निर्माण के लिए 5 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है।