हिमाचल में कम हुई याकों की तादाद

पालमपुर – बर्फीले क्षेत्रों में पाए जाने वाले याक की संख्या में चिंताजनक तौर पर कमी आई है। आंकड़े बताते हैं कि सात साल की अवधि में ही प्रदेश में याकों की संख्या में 33.58 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। जानकारी के अनुसार 2012 में जहां प्रदेश में याकों की संख्या 2921 थी, वहीं अब यह कम होकर 1940 रह गई है। राष्ट्रीय स्तर पर जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार 2012 से  2019 की अवधि में देश में याकों की संख्या में 24.67 फीसद की कमी आई है। 2012 में देश भर में लगभग 77 हजार याक थे, जो कि अब कम होकर करीब 58 हजार रह गए हैं। इस दौरान देश में मेल याक की संख्या 35 हजार से कम होकर 26 हजार रह गई है, तो वहीं फीमेल याक की गिनती 42 हजार से गिरकर 32 हजार पर पहुंच गई है। आंकड़ों के अनुसार इस समय देश में सबसे अधिक 24075 याक अरुणाचल प्रदेश में हैं, जिनमें 876 मेल और 15349 फीमेल याक हैं। वहीं, जम्मू-कश्मीर में याकों की संख्या इस समय 26221 है, जिनमें 13384 मेल और 12837 फीमेल हैं। सिक्किम में याक की संख्या इस वक्त 5219 बताई जा रही है, जिसमें 2639 मेल और 2580 फीमेल याक हैं। वहीं, प्रदेश में 1223 मेल याक हैं, जिनमें तीन वर्ष से कम आयु के 254 और इससे बड़े 969 याक हैं। वहीं, तीन साल से कम आयु के 143 और इससे बड़ी उम्र की 574 याक सहित कुल 717 फीमेल हैं व प्रदेश में याक की कुल संख्या 1940 हैं। पशु वैज्ञानिक कृत्रिम गर्भाधान का लाभ लेकर पशुपालकों को प्योर ब्रीड की जगह याक व गाय की क्रॉस ब्रीड मसलन चुरू-चूरी को प्राथमिकता दिए जाने को अहम कारण बता रहे हैं।

उपयोगी है क्रॉसब्रीड

ऊंचे इलाकों में पाए जाने वाले याक और गाय के क्रॉस ब्रीड से मादा चूरी और नर चुरू को तैयार किया गया है। इस क्रॉस ब्रीड में याक की ताकत और गाय जैसी दूध देने की क्षमता होने से बर्फीले व ऊंचे इलाकों के लिए यह जानवर काफी लाभदायक साबित हो रहा है। याक एक ताकतवर पशु है, लेकिन इससे मिलने वाले दूध की मात्रा काफी कम रहती है, जबकि गाय से अपेक्षाकृत अधिक दूध मिल जाता है।