11 साल से नहीं हुए प्रोमोट

कर्मचारी संघर्ष मोर्चा ने सरकार से जल्द मांगी पदोन्नति

 पालमपुर-हिमाचल प्रदेश कर्मचारी संघर्ष मोर्चा ने सरकार से आग्रह किया है कि 2008 व 2009 में नियुक्त स्नातक अध्यापकों को भी आगामी प्रोमोशन लिस्ट में शामिल किया जाए, जिनका जून, 2020 में पांच साल का नियमित कार्यकाल पूरा होगा। कर्मचारी संघर्ष मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष प्रवीण कुमार, महासचिव अरुण कानूनगो, वरिष्ठ उपाध्यक्ष रजिंदर स्वदेशी, वरिष्ठ सलाहकार भारत भूषण, निरुपमा मिश्रा, नविता परमार, सुषमा देवी, चंद्र मोहन, अंजू शर्मा, शेलेंद्र सूद, दिनेश पठानिया ने सरकार से सवाल किया है कि 11 साल का अनुभव प्राप्त यह अध्यापक प्रोमोट क्यों नहीं हो सकते हैं, जबकि इनके बाद नियुक्त हुए शिक्षक विभिन्न पदों पर प्रोमोशन प्राप्त कर चुके हैं। जिन अध्यापकों को 2008 में नियमित रखना चाहिए था, परंतु पहले तो नए आर एंड पी रूल्ज लागू किए बिना ही अनुबंध पर रख दिया और फिर नियमित भी लगभग सात साल बाद किया गया। यह कैसा कानून है, जहां किसी से सात साल आधे से भी कम सैलरी पर रखकर महा अन्याय किया और अब प्रोमोशन की सुविधा भी इन अध्यापकों को नहीं है। गौरतलब है कि 2008 में जब इन टीजीटी की भर्तियां हुईं, उस समय अनुबंध पर रखने के रूल्ज नहीं थे। उन्होंने बताया कि इन शिक्षकों का विज्ञापन 2007 में निकला था, तो इस विज्ञापन के तहत भर्तियां नियमित होनी चाहिए थीं। आज तक इस गलती को किसी सरकार ने नहीं माना। अध्यापक हर समय अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे है और हर समय एक ही सवाल पूछते है कि आखिर हमारा क्या कसूर था जो एक स्टेट कैडर व निदेशालय के दिशा निर्देश पर हुई भर्तियों से नियुक्त अध्यापकों को अपने जीवन का एक लंबा समय अनुबंध पर कटवाया और अब प्रोमोशन का हक भी नही दिया जा रहा है ।