25 करोड़ से ब्यास पर बने नए पुल का मुख्यमंत्री जयराम करेंगे उद्घाटन
राजा विजय सेन ने बनवाया
पुरानी मंडी और मंडी शहर को जोड़ने के लिए ब्यास पर कोई पुल नहीं था। इसलिए लोगों की दिक्कतों को देखते हुए विजय सेन ने अंग्रेजी हकूमत को एक लाख रुपए देकर इस पुल का निर्माण करवाया था।
लंदन की तर्ज पर निर्माण
18वीं शाताब्दी में इंजीनियरिंग और कारीगिरी का यह बेजोड़ सेतु शायद ही प्रदेश में किसी दूसरी जगह पर देखने को मिले। उस समय मंडी के विक्टोरिया पुल का निर्माण लंदन के विक्टोरिया ब्रिज की तरह ही किया गया।
सिर्फ धरोहर बन कर रह जाएगा
एक समय था तो पुल से बड़े भरकम वाहन व बसें भी गुजरती थी, लेकिन अब इस पुल से सिर्फ छोटे वाहन ही आते जाते हैं, लेकिन अब नय पुल के शुरू होने के साथ ही विक्टोरिया पुल को छोटे वाहनों के लिए भी बंद कर दिया जाएगा और यह सिर्फ ऐतिहासिक धरोहर बन कर रह जाएगा।
केसरी नाम रखना चाहते थे राजा
पुल का निर्माण उस समय लंदन और कलकत्ता (कोलकाता) के इंजीनियरों ने किया। पुल का सारा सामान भी लंदन से मंगवाया गया। पुल को राजा केसरी पुल का नाम देना चाहते थे, लेकिन अंग्रेजी हकूमत ने इसे विक्टोरिया पुल का नाम देने की शर्त लगा दी।
जर्मनी की भट्ठी में तपाया लोहा
कहते हैं कि पुल के लिए जर्मन की भट्टियों में तपा कर लोहे के रस्से बनाये गए। इस पुल की लंबाई 76 मीटर है और पुल दो टॉवरों की मदद से लोहे के 12 रस्सों के सहारे टिका हुआ है। दो चट्टानों को कई फुट अंदर तक काट कर लोहे के रस्सों को बांधा गया है।