उपहार का अस्वीकार

जेन कहानियां

एक महान योद्धा था। वह वृद्ध हो चुका था,मगर चुनौती का सामना करने का उसमें अब भी दम-खम था। देश भर में फैली ख्याति के कारण उसके पास शिष्यों की भीड़ लगी रहती थी। एक दिन गांव में कोई अज्ञात योद्धा आया। उसने वृद्ध गुरु को पराजित करने का संकल्प लिया था। ताकत के अलावा उस युवा योद्धा में एक और खूबी थी। अपने विरोधी की कमजोरी पकड़ने और उसे अपने पक्ष में भुनाने में  वह बड़ा माहिर था। अपने विरोधी को पहले आक्रमण करने पर मजबूर करता और इसी दौरान उसकी कमजोरी भांप कर उस पर टूट पड़ता। शिष्यों की असहमति के बावजूद वृद्ध गुरु ने युवा योद्धा की चुनौती स्वीकार कर ली। जैसे ही दोनों आमने-सामने हुए,युवा योद्धा ने वृद्ध योद्धा पर अपमानजनक शब्दों की बौछार कर दी। इससे कुछ नहीं हुआ, तो उसने वृद्ध योद्धा पर धूल फेंकी और उसके मुंह पर थूका। उसने धरती पर प्रचलित हर गाली को आजमाया, मगर वृद्ध जरा भी विचलित नहीं हुआ। अंततः उसने हार मान ली और वृद्ध गुरु का अभिवादन करके वापस चला गया। शिष्यों ने वृद्ध गरु से पूछा आपने इतनी जिल्लत बर्दाश्त क्यों की? कोई तुम्हें उपहार देना चाहे और तुम लेने से इंकार कर दो, वृद्ध ने शिष्यों से पूछा, तो वह उपहार किसके पास रहेगा?