चीफ जस्टिस बोबडे ने कहा, नागरिकों पर अधिक टैक्स लगाना सामाजिक अन्याय

नई दिल्ली  – बजट पेश होने से ठीक एक हफ्ते पहले देश के मुख्य न्यायाधीश एस. ए. बोबडे ने टैक्स रिफॉर्म को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि सरकार की ओर से जनता पर अधिक या मनमाना टैक्स लगाना समाज के प्रति अन्याय है। चीफ जस्टिस ने टैक्स चोरी को अपराध बताते हुए कहा कि यह दूसरे लोगों के साथ अन्याय भी है। उन्होंने उचित टैक्स की वकालत करते हुए देश में पुराने समय में प्रचलित टैक्स कानूनों का भी उदाहरण दिया। इनकम टैक्स अपीलेट ट्राइब्यूनल के 79वें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में चीफ जस्टिस ने कहा कि नागरिकों से टैक्स उसी तरह वसूला जाए, जिस तरह मधुमक्खी फूलों को नुकसान पहुंचाए बिना रस निकालती है।’ बोबडे का यह बयान ऐसे समय में आया है जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को देश का बजट पेश करने जा रही हैं। आमतौर पर न्यायपालिका इस तरह के मुद्दों पर बोलने से परहेज करती रही है।

लंबित केसों में आई है कमी
चीफ जस्टिस ने कहा कि टैक्स जूडिशरी का देश के लिए संसाधन जुटाने में अहम योगदान है। उन्होंने लंबित केसों को लेकर चिंता भी चाहिर की। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट और सीईएटीएटी में लंबित इनडायरेक्ट टैक्स से जुड़े केसों में दो साल में 61 फीसदी की कमी आई है। आधिकारिक डेटा के मुताबिक, 30 जून 2017 तक 2 लाख 73 हजार 591 केस लंबित थे। 31 मार्च 2019 तक इनकी संख्या 1 लाख 5 हजार 756 रह गई।

‘टैक्स विवाद का जल्दी निपटारा प्रोत्साहन जैसा’

डायरेक्ट टैक्स से जुड़ी केसों की बात करें तो 3.41 लाख केस कमिश्नर के पास लंबित हैं, जबकि 92,205 केस 31 मार्च 2019 तक इनकम टैक्स अपीलेट ट्राइब्यूनल के पास लंबित थे। चीफ जस्टिस ने टैक्स विवादों के जल्दी निपटारे पर जोर देते हुए कहा कि यह टैक्सपेयर्स के लिए प्रोत्साहन जैसा होता है और मुकदमेबाजी में फंसा फंड भी निकल जाता है।