जेन कहानियां : शिकायत के दो शब्द

एक जेन आश्रम अपने कठोर अनुशासन के लिए विख्यात था। आश्रम में पूर्ण मौन का पालन होता था। किसी को भी बोलने की अनुमति नहीं थी। इस नियम का एक मात्र अपवाद था कि आश्रम में दस वर्ष पूरे एक साधक आश्रम के प्रधान गुरु के पास गया,मुझे दस वर्ष हो चुके। उसने कहा, ठीक है तुम अपने दो शब्द बोल सकते हो, प्रधान गुरु ने कहा। खराब, सख्त साधक ने दो शब्द कहे, ठीक है, प्रधान गुरु ने कहा। दस वर्ष बाद यही साधक फिर प्रधान गुरु के सामने था,दस वर्ष और पूरे हुए। ठीक है, तुम अपनी पसंद के दो शब्द बोल सकते हो। प्रधान गुरु ने कहा। भोजन बदबू साधक ने दो शब्द कहे। अगले दस वर्ष बीतने पर साधक फिर प्रधान गुरु के सामने हाजिर हुआ, तो उन्होंने कहा, हां अपने दो शब्द बोलो। आश्रम त्याग, साधक बोला। मुझे पता है, प्रधान गुरु ने कहा, तुम्हें शिकायत के अलावा कुछ करना जो नहीं था।