तीन साल के लिए सरताज बन जाएंगे नड्डा

 कल दिल्ली में भव्य समारोह में होगी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा की ताजपोशी; प्रदेश भर के नेता करेंगे शिरकत, बिलासपुर से रवाना होंगे हजारों कार्यकर्ता

बिलासपुर पटना विश्वविद्यालय से अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत करने वाले अत्यंत मृदुभाषी एवं संयमशील जगत प्रकाश नड्डा सोमवार को दुनिया के सबसे बड़े राजनीतिक दल के सरताज बन जाएंगे। अगले तीन साल के लिए उनकी ताजपोशी होगी। नड्डा की ताजपोशी कार्यक्रम में भागीदारी सुनिश्चित करवाने के लिए हिमाचल विशेषकर उनके गृह जिला बिलासपुर से हजारों की संख्या में कार्यकर्ता व नेता जाएंगे। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में बतौर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री आयुष्मान भारत और इंद्रधनुष जैसी महत्त्वाकांक्षी योजनाओं की शुरुआत करने वाले जेपी नड्डा को इस बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान मिलने के बाद से ही स्पष्ट हो गया था कि उन्हें संगठन का दायित्व सौंपा जाएगा। अमित शाह के गृह मंत्री बनने के साथ ही उन्हें राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारी सौंपी गई थी। अब राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर विधिवत ताजपोशी के लिए 20 जनवरी की तिथि निर्धारित की गई है। पार्टी संविधान के अनुसार चुनावी प्रक्रिया शुरू हुई और सोमवार को अध्यक्ष पद पर घोषणा कर दी जाएगी। हिमाचल जैसे छोटे से पहाड़ी राज्य से ताल्लुक रखने वाले नड्डा विश्व की सबसे बड़ी पार्टी का जिम्मा संभालेंगे। बिलासपुर जिला से हजारों कार्यकर्ता दिल्ली जाने के लिए कार्यक्रम तय कर चुके हैं। हर उपमंडल से पांच सौ कार्यकर्ता दिल्ली जाएंगे। बता दें कि जेपी नड्डा ने 16 साल की आयु में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। बिहार में स्टूडेंट मूवमेंट में बढ़-चढ़कर भाग लिया था। 1983 में प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला में वकालत की। इस दौरान केंद्रीय छात्र संघ चुनाव में एबीवीपी के अध्यक्ष बने। इसके बाद 1989 तक विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महासचिव रहे। 1989 में केंद्र सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन में भाग लिया था और 45 दिन तक हवालात में रहे थे। 1998 में हुए लोकसभा चुनाव में उन्हें भाजपा ने भाजयुमो का चुनाव प्रभारी नियुक्त किया था। 1991 में भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। 1993 में पहली बार सदर बिलासपुर से विधायक चुने गए और नेता प्रतिपक्ष बने। 1998 में दोबारा विधायक चुने गए और भाजपा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बनाए गए। फिर 2007 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद वन, पर्यावरण एवं संसदीय मामलों के मंत्री चुने गए। 2011 में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बने और 2014 में केंद्र में मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में उन्हें स्वास्थ्य मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई। इस दौरान भाजपा संसदीय बोर्ड में सचिव का दायित्व भी उनके पास रहा। पिछले साल राज्यसभा सदस्य नियुक्त किए जाने के बाद उन्हें पार्टी ने राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाया, लेकिन अब सोमवार को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में उनकी ताजपोशी की जाएगी।

राजनीतिक जीवन का शुरुआती सफर

1975 में हुए जेपी आंदोलन से जेपी नड्डा सियासी पहचान में आए। देश के सबसे बड़े आंदोलनों में गिने जाने वाले इस आंदोलन से नड्डा के राजनीतिक भविष्य का उदय हुआ। इसके बाद वह बिहार में एबीवीपी में शामिल हुए और 1977 में पटना विश्वविद्यालय में छात्र संगठन चुनाव जीतकर सचिव बने थे। 1977 से लेकर 1979 तक रांची में रहे हैं। उनके पिता डा. नारायणलाल नड्डा रांची विश्वविद्यालय के कुलपति रहे हैं और पटना विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में सेवाएं दे चुके हैं। पटना विश्वविद्यालय से स्नातक तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने शिमला विश्वविद्यालय में एलएलबी की पढ़ाई की और इस दौरान वह विश्वविद्यालय में एबीवीपी के अध्यक्ष बने थे। यहां से सक्रिय राजनीति में प्रवेश के साथ शुरू हुआ राजनीतिक कारवां आज राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर पहुंच गया है।