बेबो को मिल गई सीख

पिंकी बिल्ली और चीकू चूहा रोज की तरह आज भी खूब हंसते-खेलते स्कूल जा रहे थे। उनकी यह दोस्ती बहुत पहले से थी। वे रोज एक साथ स्कूल जाते और एक साथ घर आते। दोनों के स्कूल के लिए रास्ता भी एक ही था, लेकिन स्कूल अलग-अलग थे। पिंकी के स्कूल में सिर्फ बिल्ल्यिं थीं और चीकू के स्कूल में सिर्फ चूहे। सभी इन दोस्ती की मिसाल देते थे। आज स्कूल जाने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हो गई थी क्योंकि आज दूसरे स्कूल से आई काली बिल्ली बेबो भी पिंकी के स्कूल पढ़ने जा रही थी। बेबो बहुत ही शरारती, चालाक और चोरटी किस्म की बिल्ली थी। इसकी वजह से उसे पिछले स्कूल से निकाल दिया गया था। पिंकी रोज की तरह आज भी चौराहे पर चीकू का इंतजार कर रही थी, लेकिन चीकू था कि अभी तक नहीं पहुंचा था। चीकू को आज रास्ते में बेबो से वास्ता जो पड़ गया था। बेबो ने जब चीकू को देखा तो वह उससे शरारत करने लग गई। वह उसकी पूंछ को अपने मुंह में लेकर कभी उसका झुला देती तो कभी टांग से खींचकर पीछे फेंकती। चीकू बेबो से बार-बार उसे स्कूल जाने देने के लिए प्रार्थना कर रहा था, लेकिन बेबो के कान में जूं तक नहीं रेंग रही थी। अबकी बार तो उसने चीकू को पूरा ही मुंह में डाला और फिर कुछ देर मुंह में रखने के बाद मिट्टी में उगल दिया। इस शरारत से उसके कपड़े,स्कूल बैग पूरी तरह से गंदे हो गए। उसकी सांस पूरी तरह से फूल रही थी और उसकी टांग में चोट भी आ गई थी। बिल्ली के मुंह में उसका दम घुटते-घुटते बचा था। इस स्थिति में वह अब स्कूल तो जा नहीं सकता था। इसलिए  उसे वापस घर आना पड़ा। जब पिंकी को चीकू के पड़ोसी चूहे से चीकू की हालत का पता चला तो वह बहुत उदास हो गई। उसका आज स्कूल में जरा भी मन नहीं लग रहा था। परंतु उसे बेबो को देखकर गुस्सा आ रहा था। परंतु वह स्कूल में कोई लड़ाई-झगड़ा नहीं करना चाहती थी। वहीं दूसरी ओर बेबो ने स्कूल में खूब उधम मचाया हुआ था। वह  कभी किसी की किताब हवा में लहरा देती तो कभी-कभी कुछ…। बेबो के आने का क्लास का सारा माहौल बिगड़ गया था। उसे सबक सिखाने के लिए पिंकी के साथ सभी सहपाठियों ने बेबो की शिकायत स्कूल के मुखिया से की। बेबो मुखिया के सामने भीगी बिल्ली बन गई और उसने शरारतें न करने का वादा भी मुखिया से कर लिया, लेकिन बाहर आते ही सबको धमकाते हुए बोली, अगर दूसरी बार मेरी शिकायत हुई तो मैं किसी को नहीं छोडूंगी। याद रखना। बेबो की बात से बहुत सी बिल्लियां घबरा गई थीं। पिंकी सारी स्थिति को भांप चुकी थी। बेबो को सुधारने के लिए अब उसने किसी अन्य उपाय के बारे में सोचना शुरू कर दिया था। स्कूल के बाद पिंकी के सभी सहपाठी चीकू से मिलने उसके घर पहुंचे। उन्होंने देखा चीकू की हालत सचमुच खराब थी। उसकी एक टांग में काफी दर्द हो रहा था और वह जगह-जगह से घायल था। पिंकी ने चीकू को हौसला देते हुए कहा, तुम उदास मत होना। हमने बेबो को सबक सिखाने की योजना बना ली है। वह फिर हम सबको कभी परेशान नहीं करेगी। चीकू को जैसे ही पिंकी ने सारी योजना बताई चीकू के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ पड़ी थी। दूसरे दिन भी बेबो स्कूल जाते हुए सबको छेड़ती हुई चली जा रही थी, लेकिन जैसे ही वह चौराहे पर पहुंची तो उसका सामना शेरू कुत्ते से हुआ। शेरू इस इलाके का जाना माना गुंडा था, लेकिन पिंकी का परममित्र था। शेरू को देखते ही बेबो बूरी तरह से डर गई। उसे देखते ही उसने मुंह से एक चूहा बाहर उगल दिया। शेरू उससे कुछ नहीं बोला। बस, एक जोरदार चांटा उसके मुंह पर मारकर चला गया। और मेरा टिफ्न खाकर तोड़ डाला। बेबो अवाक-सी देखती रह गई थी। बेबो यह बात समझ नहीं आ रही थी कि शेरू को मैंने देखा भी पहली बार फिर यह मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहा है।  फिर उसने कक्षा में किसी से कोई शरारत नहीं की और चुपचाप बैठी रही। लंच समय हो गया सब बच्चे खाना खाने चले गए पर बेबो अपनी जगह से नहीं उठी। पिंकी बेबो के पास आई और अपना टिफ्न आगे करते कहती बेबो मेरा टिफ्न खा ले मुझे पता है आज तुम्हारा खाना नहीं है। बेबो ने मना कर दिया।  पिंकी ने फिर कहा खा लो, बेबो पिंकी को कहती मुझे माफ कर दो मुझे आज पता लगा कि अपनी चीज खोने का क्या डर होता है। मैंने आप लोगों को बहुत तंग किया है। अरे बेबो कोई बात नहीं गलतियां तो सबसे  हो जाती हैं। फिर सबसे बड़ी बात तो यह है कि तुम्हें अपनी भूल का एहसास हो चुका है और माफी तो मुझे भी तुमसे मांगनी है।

क्यों तुमने क्या किया है?

दरअसल शेरू को तुम्हारे पीछे लगाने की योजना मेरी ही थी। तुमने हम सभी को बहुत तंग करना शुरू कर दिया था इसलिए।

पिंकी तुम लोगों ने अच्छा ही किया। मुझ जैसी शरारती के लिए शायद यही तरीका सही था। बेबो अपने किए पर शर्मिंदा होते हुए बोली। अरे, नहीं बेबो।

अरे, हां पिंकी।

इस बात पर दोनों ठहाके मारकर हंस पड़ी थी।

पवन चौहान, सुंदरनगर