यहूदी लड़की की बायोग्राफीने प्रभावित किया

डा. देवकन्या ठाकुर

मो.-9459041163

मैं साहित्यिक पत्रिकाएं निरंतर पढ़ती हूं क्योंकि उनमें साहित्य की हर विधा की विषय-वस्तु होती है। मसलन कहानियां, कविताएं, संस्मरण, व्यंग्य इत्यादि। फिर भी साहित्य जगत में पुस्तकें खासकर, कहानियों और कविताओं के प्रति भी में सजग रहती हूं। प्रायः पुस्तकें उनकी समीक्षात्मक टिप्पणियों के आधार पर भी चुनती हूं क्योंकि बाजार में हर तरह के विषयों की पुस्तकें उपलब्ध हैं। मैं अपने कांटेंट को लेकर बहुत चूजी हूं क्योंकि पुस्तकों को पढ़ने के बाद मुझे यह लगना चाहिए कि मैंने अपने ज्ञानकोश को बढ़ाया है। ऐसा नहीं लगना चाहिए कि अपना समय बरबाद किया है। इस साल मैंने कोई तीस पुस्तकें पढ़ीं, जिनमें मुझे कविताओं से ज्यादा कहानियों की पुस्तकें पढ़ने को मिलीं। मुझे एक यहूदी लड़की की बायोग्राफी ‘दि डायरी आफ ए यंग गर्ल’, जिसकी लेखिका एनी फ्रेंक हैं, बहुत अच्छी लगी। यह पुस्तक युद्धग्रस्त क्षेत्रों में रह रही नवयुवती के जीवन के संघर्ष पर आधारित है। मुझे दूसरी पुस्तक जो बहुत अच्छी लगी, वह है एसआर हरनोट की पुस्तक ‘कीलें’। आज के दौर में सामाजिक परिस्थितियों और राजनीतिक परिदृश्य पर तीखा प्रहार करती उनकी कहानियां एक आदर्शवादी समाज के निर्माण के लिए प्रेरित करती हैं। और यह सत्य भी स्थापित करने में सफल होती हैं कि एक लेखक को बिना किसी दबाव के सामाजिक विद्रूपताओं पर अपनी कलम चलाते रहना चाहिए। मनोज चौहान का कविता संग्रह ‘पत्थर तोड़ती औरत’ ने भी प्रभावित किया। उनकी कविताओं में समाज के वंचित वर्ग की महिलाएं अपनी मेहनत से कविता के नए आयाम गढ़ती नजर आती हैं। वैसे तो प्रदेश में कई संस्थाएं साहित्यिक कार्यक्रमों के आयोजन में सक्रिय हैं। बिलासपुर, कुल्लू, कांगड़ा और शिमला में संस्थाएं पूरी तन्मयता के साथ कार्यक्रमों के आयोजन कर रही हैं। क्योंकि मैं शिमला में रह रही हूं तो यहां आयोजित होने वाली गतिविधियों में हिस्सा लेती रहती हूं। मुझे बुक कैफे शिमला में हिमालय साहित्य मंच की गतिविधियों ने प्रभावित किया।

इसके अलावा भाषा विभाग और अकादमी के साहित्यिक आयोजन भी स्तरीय रहे। हमीरपुर से राजेंद्र राजन की संस्था की साहित्यिक सक्रियता भी सराहनीय रही।

मैं एसआर हरनोट के लेखन से प्रभावित हूं क्योंकि मुझे उनका लेखन जमीन से जुड़ा लगता है। चंद्ररेखा ढडवाल और रेखा वशिष्ठ भी मेरी प्रिय लेखिकाओं में से हैं। जब भी मन करता है, मैं इनकी लिखी हुई कविताएं और कहानियां पढ़ती हूं। इनकी भाषा शैली मुझे प्रभावित करती है। मृदुला श्रीवास्तव की कहानियों का शिल्प मुझे पसंद है। बेहद साधारण से विषय पर भी वह रोचक कहानियां रचती हैं। बद्री सिंह भाटिया की ‘बडि़यां डालती औरतें’ और ‘शुभांगी कथा’ भी पठनीय हैं। स्थानाभाव के कारण यहां सभी नाम शामिल नहीं कर पाई हूं।