शिक्षा के साथ रोजगार दिलाना चुनौती

शिमला  – मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा है कि भारत को विश्व का अग्रणी देश बनाने और आर्थिक स्थिति की मजबूती के लिए प्रतिभा संपन्न और प्रशिक्षित मानव संसाधन की आवश्यकता है तथा इसमें शिक्षा का महत्व और भी बढ़ जाता है। वह गुरुवार को राजकीय महाविद्यालय चौड़ा मैदान में हिमाचल प्रदेश महाविद्यालय शिक्षक संघ द्वारा राष्ट्र निर्माण के लिए उच्च शिक्षा विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि विद्यार्थियों को विश्व स्तरीय अध्ययन पद्धतियों की सुविधा प्रदान करने के प्रयास होने चाहिए तथा उनकी शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ उन्हें रोजगार प्रदान करने की चुनौती का भी सामना करने की आवश्यकता है। आज के दौर में डिजिटल प्रौद्योगिकी का अधिक से अधिक उपयोग करने की आवश्यकता है। तकनीक के कारण शिक्षा अधिक लचीली, सुलभ और व्यक्तिगत बन गई है।  सीएम ने कहा कि अच्छी शिक्षा प्रणाली से विद्यार्थी का मस्तिष्क प्रगति, राष्ट्रवाद और सामाजिक विकास की ओर मुड़ता है। विद्यार्थियों को अपने स्तर पर सोचने, विश्लेषण करने, तर्क देने, प्रतिक्रिया करने और अपने निष्कर्ष के लिए छूट दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार के दो वर्ष के कार्यकाल के दौरान कई छोट-छोटे निर्णय कार्यान्वित किए गए हैं, जिनका आम जनता के जीवन पर बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। जनमंच, पेंशन योजना, हिमकेयर, सहारा योजना और गृहिणी सुविधा योजना आदि से प्रदेश के लाखों लोग लाभान्वित हुए हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य है, जहां जनसंख्या अनुपात में कर्मचारी सर्वाधिक हैं। प्रदेश सरकार निजी क्षेत्र के माध्यम से युवाओं को रोजगार और स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने के प्रयास कर रही है। एक प्रतिष्ठित पत्रिका के सर्वेक्षण में हिमाचल प्रदेश को देश में स्वास्थ्य व शिक्षा क्षेत्रों में प्रथम स्थान पर आंका गया है।

राष्ट्र निर्माण, विश्व गुरु के वैभव में आगे आएं शिक्षक

अखिल भारतीय शिक्षक संघ की अध्यक्ष जगदीश प्रसाद सिंघल ने कहा कि शिक्षकों को राष्ट्र निर्माण और विश्व गुरू का वैभव पुनः प्राप्त करने के लिए आगे आना चाहिए। राष्ट्रीय संगठन सचिव महेंद्र कपूर ने कहा कि संगठन देश के 25 राज्यों तक फैला है। महाविद्यालय शिक्षक संघ के राज्य प्रांत प्रमुख रविंद्र ठाकुर ने मुख्यमंत्री व अन्यों का स्वागत किया। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सदस्य प्रोफेसर नागेश और पूर्व कुलपति सुनील गुप्ता भी इस अवसर पर उपस्थित रहे।