संकुचित सोच की राजनीति बंद हो

-रूप सिंह नेगी, सोलन

हमारे देश की लोकतांत्रिक प्रणाली का ढलान पर आना हमें शर्मसार करता है और इसे  दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाना चाहिए। जिस प्रकार की संकुचित सोच और स्वार्थ की राजनीति देश में चल रही है, उससे लगता है कि हम लोकतंत्र की जडं़े कमजोर करने में लगे हैं। यह जानकर हर भारतवासी का आहत होना  तह है कि हम पिछले चंद सालों से लगातार  वर्ड डेमोक्रेटिक इंडेक्स में नीचे की ओर जा रहे हैं। देश की जनता को सोचने पर मजबूर होना पड़ सकता है कि देश की लोकतांत्रिक प्रणाली को दुनिया में सबसे ऊपर ले जाने के लिए किन-किन ताकतों से दो हाथ करने की जरूरत होगी।