सीएए के खिलाफ प्रस्ताव ‘राजनीतिक कदम’, राज्यों की बमुश्किल ही कोई भूमिका: थरूर

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने का राज्यों का कदम राजनीति से प्रेरित है क्योंकि नागरिकता देने में उनकी बमुश्किल ही कोई भूमिका है। सांसद ने कहा कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी एनआरसी के क्रियान्वयन में राज्यों की अहम भूमिका होगी क्योंकि केंद्र के पास मानव संसाधन का अभाव है, ऐसे में उनके अधिकारी ही इस काम को पूरा करेंगे। आपको बता दें कि इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने भी कहा था कि सीएए के क्रियान्वयन से कोई राज्य इनकार नहीं कर सकता क्योंकि संसद ने इसे पहले ही पारित कर दिया है। हालांकि बाद में उन्होंने कहा था कि यह असंवैधानिक है।

थरूर ने कहा, ‘यह एक राजनीतिक कदम अधिक है। नागरिकता संघीय सरकार ही देती है और यह स्पष्ट है कि कोई राज्य नागरिकता नहीं दे सकता, इसलिए इसे लागू करने या नहीं करने से उनका कोई संबंध नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘वे (राज्य) प्रस्ताव पारित कर सकते हैं या अदालत जा सकते हैं लेकिन व्यावहारिक रूप से वे क्या कर सकते हैं? राज्य सरकारें यह नहीं कह सकतीं कि वे सीएए को लागू नहीं करेंगी, वे यह कह सकती हैं कि वे एनपीआर-एनआरसी को लागू नहीं करेंगी क्योंकि इसमें उनकी अहम भूमिका होगी

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का किया स्वागत
आपको बता दें कि थरूर के पार्टी सहयोगी कपिल सिब्बल ने पिछले सप्ताह यह कह कर बवाल मचा दिया था कि सीएए के क्रियान्वयन से कोई राज्य इनकार नहीं कर सकता क्योंकि संसद ने इसे पहले ही पारित कर दिया है। बाद में, उन्होंने इसे ‘असंवैधानिक’ करार दिया और स्पष्ट किया कि उनके रुख में कोई बदलाव नहीं है। थरूर ने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा सीएए पर रोक लगाने का आदेश नहीं देने से इसके खिलाफ प्रदर्शन ‘कतई कमजोर नहीं’ हुए हैं। उन्होंने पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ गठित करने के शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत किया।

‘धर्मों का नाम लेना संविधान का उल्लंघन’
थरूर ने कहा, ‘नागरिकता के संबंध में धर्मों का नाम लेकर इस कानून ने संविधान का उल्लंघन किया है… लेकिन पांच न्यायाधीशों की पीठ कम से कम सभी तर्कों को सुनेगी और इसके गुणदोष पर विचार करेगी। इस मौलिक असहमति को सुलझाने का यही एकमात्र तरीका है।’ ‘टाटा स्टील कोलकाता लिटरेरी मीट’ में भाग लेने यहां आए थरूर ने कहा, ‘इस कानून को लागू नहीं होने देने के दो ही तरीके हैं- पहला, यदि उच्चतम न्यायालय इसे असंवैधानिक घोषित कर दे और रद्द कर दे और दूसरा, यदि सरकार स्वयं इसे निरस्त कर दे। अब, दूसरा विकल्प व्यवहार्य नहीं है क्योंकि बीजेपी अपनी गलतियों को कभी स्वीकार नहीं करेगी।’

सीएए में बड़े परिवर्तन की जरूरत: थरूर
थरूर ने कहा कि प्रदर्शन मुख्य रूप से स्वत: शुरू हुए हैं और यदि सरकार यह स्पष्ट करती है कि किसी धर्म को निशाना नहीं बनाया जा रहा है तो कई लोगों के पास प्रदर्शन करने का कारण नहीं बचेगा। हालांकि उन्होंने कहा कि सरकार को सीएए में से धर्म संबंधी खंड हटाने के अलावा भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। थरूर ने कहा, ‘उसे यह कहने की जरूरत है कि हम जन्म का स्थान और नागरिकता के बारे में सवाल नहीं पूछेंगे और एनआरसी तैयार नहीं करेंगे।’ उन्होंने देश में विपक्षी दलों के बारे में कहा कि भारतीय राजनीति में उनका एकजुट होना कभी आसान नहीं रहा है क्योंकि कई दलों का केंद्र में समान रुख हो सकता है लेकिन राज्यों में उनका रुख बदल सकता है।

समावेशिता के लिए खड़ी है कांग्रेस’
थरूर ने कहा, ‘मेरी राय में, देश में विभाजित मोर्चे के बजाए एकजुट मोर्चा पेश करना बेहतर रहेगा।’ पार्टी के पुनरुत्थान में मौजूदा नेतृत्व की भूमिका और गांधी परिवार के बारे में पूछे जाने पर थरूर ने कहा कि कांग्रेस किसी एक परिवार से भी बढ़कर है और यह सुसंगत विचारों का एक समूह है। उन्होंने कहा, ‘हां, हम जब लोगों से कांग्रेस के लिए वोट देने को कहते हैं तो कुछ लोग परिवार के लिए वोट देते हैं, कुछ लोग व्यक्तियों के लिए मतदान करते हैं, लेकिन इससे भी बढ़कर वे कुछ सिद्धांतों एवं प्रतिबद्धताओं के लिए मतदान करते हैं।’ थरूर ने कहा कि कांग्रेस समावेशिता के लिए खड़ी है और यही बीजेपी की ‘विभाजनकारी राजनीति’ का एकमात्र व्यवहार्य एवं विश्वसनीय विकल्प है।

शाह ने कहा था- वापस नहीं होगा सीएए
इससे पहले मंगलवार को गृहमंत्री अमित शाह ने लखनऊ में कहा था, ‘मैं आज डंके की चोट पर कहने आया हूं कि जिसको विरोध करना है करे, CAA वापस नहीं होने वाला है।’ उन्होंने कहा था, ‘मैं वोट बैंक के लोभी नेताओं को कहना चाहता हूं, आप इनके कैंप में जाइए, कलतक जो सौ-सौ हेक्टेयर के मालिक थे, वे आज एक छोटी सी झोपड़ी में परिवार के साथ भीख मांगकर गुजारा कर रहे हैं।