गोले में 8 किलो टीएनटी का इस्तेमाल
विशेषज्ञों के मुताबिक एम-46 के गोले में जहां 3.4 किलोग्राम टीएनटी का इस्तेमाल किया जाता था वहीं अब सारंग के गोले में 8 किलो टीएनटी का इस्तेमाल किया जा रहा है। ज्यादा टीएनटी मतलब ज्यादा तबाही। सारंग तोप का वजन करीब 8.4 टन है और उसके बैरल की लंबाई करीब 7 मीटर है। यह गन भी अब सेमी ऑटोमेटिक हो गई है। इससे अब तोप के अंदर गोले डालने में क्रू मेंबर को आसानी हो गई है।
शारंग तोप को करीब 70 डिग्री तक मूव किया जा सकता है। पहले चरण में 30 दूसरे चरण में 70 और अगले चरण में 100-100 तोप का निर्माण किया जाना है। 2022 तक तीन सौ शारंग तोप का निर्माण कर सेना को दिया जाना है। शारंग तोप पूरी तरह से स्वदेशी है। एक तोप को बनाने में करीब 70 लाख रुपये का खर्च आता है। बता दें कि एक नई फील्ड आर्टिलरी गन का दाम करीब 3.5 करोड़ रुपये है। इस तरह से शारंग घातक के साथ ही साथ सस्ती भी है।
साकार होगा पीओके का सपना!
शारंग, के9 वज्र-टी, धनुष और अमेरिका निर्मित M-777 तोपों के भारतीय सेना में शामिल होने के साथ ही अब भारत दुश्मन के 40 से 50 किमी अंदर तक गोले बरसाने में सक्षम हो गया है। इन तोपों को ऐसे समय पर सेना में शामिल किया गया है जब सेना प्रमुख जनरल नरवणे ने कहा है कि अगर सरकार अनुमति देगी तो भारतीय सेना पीओके पर हमला करने के लिए तैयार है। विश्लेषकों के मुताबिक पीओके पर कब्जा करने में ये तोपें बेहद अहम भूमिका निभा सकती हैं। इतनी मारक क्षमता की तोपें अभी पाकिस्तान के भी नहीं हैं।