2818 करोड़ के रोप-वे प्रोजेक्ट्स की फाइनल डीपीआर तैयार

सरकार ने केंद्र को भेजी फाइल; शिमला, धर्मशाला और मनाली में होगा निर्माण

शिमला – हिमाचल के तीन बड़े शहरों में रोप-वे लाइनों का जाल बिछाने के लिए 2818 करोड़ की डीपीआर तैयार हो गई है। प्रीलिमिनरी प्रोजेक्ट रिपोर्ट में मिली हरी झंडी के बाद राज्य सरकार ने इसकी फाइनल डीपीआर केंद्र सरकार को भेज दी है। इसके तहत राजधानी शिमला में 31 किलोमीटर रोप-वे लाइन में 33 जंक्शन प्वाइंट बनेंगे। धर्मशाला शहर में 26 किलोमीटर रोप-वे लाइन के लिए 19 जंक्शन प्वाइंट फाइनल किए गए हैं। इसके अलावा मनाली में 16 जंक्शन प्वाइंट के साथ 23 किलोमीटर लंबी रोप-वे लाइन बिछेगी। अहम है कि तीनों शहरों में जितने जंक्शन प्वाइंट स्थापित होंगे, उतनी रोप-वे कार (ट्रॉली) हवा में दौड़ती दिखेंगी। उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश रैपिड ट्रांसपोर्ट डिवेलपमेंट कारपोरेशन ने इस डीपीआर को सिरे चढ़ाया है। डीपीआर बनाने का दायित्व वेपकोस कंपनी को सौंपा गया था। इसके तहत प्रीलिमिनरी रिपोर्ट में एस्केलेटर, लिफ्ट व मोनो रेल सहित कई संभावनाओं को तलाशा गया है। प्रीलिमिनरी प्रोजेक्ट रिपोर्ट में पाया गया है कि शिमला, धर्मशाला और मनाली में भीड़ से निजात पाने के लिए रोप-वे का निर्माण एकमात्र रास्ता है। इस आधार पर जयराम सरकार ने 2818 करोड़ की डीपीआर तैयार कर केंद्र को भेजी है। इस एक्सरसाइज के पीछे परिवहन विभाग के प्रधान सचिव जगदीश शर्मा और कार्पाेरेशन को गति दे रहे इंजीनियर अजय शर्मा का अहम रोल है। बताते चलें कि परिवहन विभाग के अधीन रोप-वे रैपिड ट्रांसपोर्ट डिवेलपमेंट कार्पोरेशन  काम करेगी। कैबिनेट ने इस नई कार्पोरेशन के लिए 12 पदों को भरने की स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके तहत रोप-वे कार्पोरेशन में सीजीएम, जीएम, डीजीएम तथा एजीएम सहित एक दर्जन पद भरे जाएंगे। खास है कि रोप-वे कार्पोरेशन में अधिकतर भर्तियां मेकेनिकल इंजीनियर्स की होंगी। साथ ही सिविल इंजीनियर्स की भी सेवाएं ली जाएंगी।

मुख्य सचिव चेयरमैन

हिमाचल सरकार के मुख्य सचिव को रोप-वे कार्पोरेशन का चेयरमैन बनाया गया है। इसके अलावा प्रशासनिक सचिव रैंक का आईएएस अफसर कार्पोरेशन का एमडी होगा। इसके अतिरिक्त ट्रांसपोर्ट, पीडब्ल्यूडी, शहरी विकास, वन तथा पर्यटन विभाग के प्रशासनिक सचिव कार्पोरेशन के डायरेक्टर होंगे। रोप-वे कार्पोरेशन में दस निदेशक नियुक्त करने का प्रावधान किया गया है। इसके तहत इसमें गैर सरकारी सदस्य भी नियुक्त किए जा सकते हैं।

सामान ढोने की भी सुविधा

पिछले साल मार्च महीने में आयोजित हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में इस कार्पोरेशन पर गहन चर्चा हुई। इस आधार पर वेपकोस कंपनी के साथ कार्पोरेशन को एमओयू हस्ताक्षर करने की स्वीकृति प्रदान की गई। कंपनी पहले चरण में धर्मशाला, मनाली और शिमला में रोप-वे की संभावनाओं को तलाश कर डीपीआर तैयार की है। रोप-वे का निर्माण यात्रियों के आवागमन के साथ सामान ढोने की सुविधा को ध्यान में रखकर किया जाएगा।