अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के लिए देवता सजने शुरू हो गए हैं। गांव में न केवल उत्सव को लेकर देवलुओं में उत्साह है, बल्कि देवताओं में भी सुंदर दिखने की होड़ लगी रहती है। देवताओं के शृंगार का काम देवताओं के खास कारीगर और देवलू करते हैं। खास बात यह है कि केवल शिवरात्रि के लिए ही कुछ देवता खास तौर पर शृंगार करते हैं, जबकि वर्ष भर ये देवता स्वर्ण आभूषणों व नगों को नहीं पहनते हैं। इसकी खास वजह यह है कि देवता शिवरात्रि जलेब में शामिल होने आते हैं, जिसे शिव की बारात कहा जाता है। मंडी के पड्डल मैदान में 22 फरवरी से मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि माहोत्सव की तैयारियां शुरू हो गई हैं। हालांकि इस बार शिवरात्रि 21 फरवरी को मनाई जा रही है, लेकिन मंडी में शिवरात्रि का मेला 22 फरवरी से विधिवत शुरू होगा और 28 फरवरी तक चलेगा। महोत्सव की पुरातन परंपराओं को सहेजने के साथ इस बार लीक से कुछ हटकर भी होगा। महोत्सव के लिए इस बार 216 देवी-देवताओं को निमंत्रण दिया गया है। अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में प्राचीन जलेब की परंपराओं का निर्वहन किया जाएगा। जब तक मंडी शहर के राज माधवराय की पालकी नहीं निकलती, तब तक शिवरात्रि महोत्सव की शोभायात्रा नहीं चलती है। राजदेवता माधोराय की पालकी प्राचीन परंपराओं के अनुसार जलेब की रौनक के साथ पड्डल से वापस मंदिर तक पहुंचाई जाएगी। वापसी में राजदेवता माधोराय की पालकी संग कुछ देवी-देवताओं के साथ मंत्री भी पैदल लौटेंगे। 22 से 27 फरवरी तक छह सांस्कृतिक संध्याएं होंगी। हिमाचली कलाकारों को भी मौका दिया जाएगा। इसके अलावा एक-एक सांस्कृतिक संध्या पंजाबी और बॉलीवुड कलाकारों के नाम होगी। 22, 25 व 28 फरवरी को निकलेगी जलेब- 22 से 28 फरवरी तक मनाए जाने वाले इस महोत्सव का आगाज मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर करेंगे। वह 22 फरवरी को प्रथम जलेब की अगुवाई करेंगे। मध्य जलेब 25 फरवरी को निकलेगी। तीसरी व अंतिम जलेब में 28 फरवरी को राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय शामिल होंगे। शिवरात्रि महोत्सव में विभिन्न प्रकार की खेलकूद प्रतियोगिताएं भी होंगी।