तबादलों की 300 फाइलें वापस

मुख्यमंत्री ने मंत्रीविधायकों को ट्रांसफर के बजाय विकास पर फोकस करने के दिए संकेत

शिमलामुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने तबादला आदेशों की तीन सौ विभागीय फाइलें वापस लौटा दी हैं। इस कड़े फैसले के चलते मुख्यमंत्री ने अपने मंत्रियों और विधायकों को भी तबादलों की जगह विकासात्मक गतिविधियों पर फोकस करने के स्पष्ट संकेत दिए हैं। सीएम ऑफिस से संबंधित विभागों को लौटाई गई इन फाइलों के साथ ही सरकार ने 31 मार्च तक ट्रांसफर का कोई भी मामला न भेजने को कहा है। इसके लिए बाकायदा सभी विभागीय सचिवों और विभागाध्यक्षों को सर्कुलर जारी किया गया है। पुख्ता सूचना के अनुसार चीफ मिनिस्टर काउंसिल की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा शासित सभी प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को ट्रांसफर के पचड़े से परहेज करने की नसीहत दी है। काउंसिल की मीटिंग में पीएम ने कहा है कि सभी मुख्यमंत्री विकासात्मक गतिविधियों पर फोकस कर सरकारी योजनाओं को अमलीजामा पहनाने को तरजीह दें। ज्यादा से ज्यादा समय नई पॉलिसी बनाने और विकास का मॉडल तैयार करने पर जोर दें। यह तभी संभव हो पाएगा, जब आप ट्रांसफर मामलों को तरजीह नहीं देंगे। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले इन आदेशों के तुरंत बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अगला वित्तीय वर्ष शुरू होने तक तबादला आदेशों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। हालांकि विभिन्न मंत्रियों से अप्रूव होकर करीब तीन सौ फाइलें सीएम ऑफिस में पहुंची थीं। रूटीन प्रक्रिया के तहत सीएम ऑफिस से इन फाइलों को स्वीकृति के बाद संबंधित विभागों को भेजा जाना था। बावजूद इसके मुख्यमंत्री ने कड़ा फैसला लेते हुए ट्रासंफर की इन सभी फाइलों को वापस भेज दिया है। जाहिर है कि राज्य सरकार ने 23 जनवरी को सर्कुलर जारी कर 31 मार्च तक शिक्षा विभाग में तबादलों पर रोक लगाने को कहा था। इसके पीछे दलील दी गई थी कि शैक्षणिक सत्र के बीच किसी भी अध्यापक का तबादला नहीं होगा। पात्र अध्यापकों को पदोन्नति का लाभ जारी कर दिया जाएगा, लेकिन उनकी पोस्टिंग नए वित्तीय वर्ष से ही होगी। सीएम ऑफिस से लौटाई गई फाइलों के बाद अब सभी विभागों को ट्रांसफर प्रक्रिया रोकने को कहा गया है। बताते चलें कि 25 फरवरी को हिमाचल प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र आरंभ हो रहा है। इसके अलावा हिमाचल में बोर्ड परीक्षाएं भी आरंभ होने वाली हैं। इस कारण तबादला आदेशों की आस में बैठे कर्मचारियों को डेढ़ माह तक इंतजार करना पड़ेगा।