दागियों को टिकट देने की वजह बताएं सभी पार्टियां

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश, वेबसाइट पर देनी होगी सारी जानकारी

नई दिल्ली – राजनीति में बढ़ते अपराधीकरण के खिलाफ  दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सभी राजनीतिक दलों को कड़े निर्देश जारी किए। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राजनीतिक दलों को कहा कि उन्हें अपने उम्मीदवारों के आपराधिक मामलों का रिकार्ड अपनी वेबसाइट पर दिखाना होगा। साथ ही यह भी आदेश जारी किया कि क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले उम्मीदवारों को वे टिकट क्यों दे रहे हैं, इसकी वजह बतानी होगी और जानकारी वेबसाइट पर देनी होगी। जस्टिस एफ  नरीमन की अध्यक्षता वाली बैंच ने कहा कि उम्मीदवारों का चयन योग्यता और मेरिट के आधार पर हो, सिर्फ  जीतने का पैमाना ऐसे लोगों को टिकट देने का कारण नहीं हो सकता है, जिनके खिलाफ  आपराधिक मामले लंबित हों। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सियासी दलों को वेबसाइट, न्यूजपेपर और सोशल मीडिया पर यह बताना होगा कि उन्होंने ऐसे उम्मीदवार क्यों चुनें, जिनके खिलाफ  आपराधिक मामले लंबित हैं। साथ ही कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि सियासी दलों को ऐसे उम्मीदवार को चुनने के 72 घंटे के भीतर चुनाव आयोग को अनुपालन रिपोर्ट देनी होगी, जिनके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं। अगर राजनीतिक दल न्यायालय की व्यवस्था का पालन करने में असफल रहते हैं, तो चुनाव आयोग इसे शीर्ष अदालत के संज्ञान में लाए। न्यायालय ने एक अवमानना याचिका पर ये आदेश पारित किए। उस याचिका में राजनीति के अपराधीकरण का मुद्दा उठाते हुए दावा किया गया था कि सितंबर 2018 में आए शीर्ष अदालत के निर्देश का पालन नहीं किया जा रहा है, जिसमें सियासी दलों से अपने उम्मीदवारों के आपराधिक रिकार्ड का खुलासा करने को कहा गया था। चुनाव आयोग का कहना है कि चुनाव लड़ने वाले तमाम उम्मीदवारों द्वारा उनकी आपराधिक रिकार्ड देने मात्र से समस्या हल नहीं हो सकती। आयोग ने न्यायालय के वर्ष 2018 में दिए गए उस फैसले की याद दिलाई, जिसके तहत उम्मीदवारों से उनके आपराधिक रिकार्ड को इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया में घोषित करने को कहा गया था। आयोग ने कहा कि राजनीति का अपराधीकरण रोकने में उम्मीदवारों द्वारा घोषित आपराधिक रिकार्ड से कोई मदद नहीं मिली है। साल 2018 के सितंबर माह में पांच जजों की संविधान पीठ ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह गंभीर अपराध में शामिल लोगों के चुनाव लड़ने और पार्टी पदाधिकारी बनने पर रोक लगाने के लिए तत्काल कानून बनाए। आयोग ने सुझाव दिया कि उम्मीदवारों से आपराधिक रिकार्ड मीडिया में घोषित करने के बजाय ऐसे उम्मीदवारों को टिकट से वंचित कर दिया जाना चाहिए, जिनका पिछला रिकार्ड आपराधिक रहा हो।