दोनों इंजनों में बायो जेट यूल भर उड़ा एएन-32

लेह – पहली बार मिश्रित बायो जेट ईंधन का दोनों इंजनों में इस्तेमाल करते हुए वायुसेना के एएन-32 ट्रांसपोर्टर एयरक्राफ्ट ने शुक्रवार को लेह से उड़ान भरी। लेह के कुशोक बाकुला रिंपोची एयरपोर्ट से वायुसेना के एएन-32 ने 10 फीसदी बायो जेट फ्यूल के मिश्रण के साथ यह उड़ान भरी। यह पहली बार है, जब एयरक्राफ्ट के दोनों इंजनों को बायो जेट फ्यूल के मिश्रण से चलाया गया। इससे पहले दिसंबर 2018 में भी ऐसा एक प्रयोग किया जा चुका है, मगर तब सिर्फ एक इंजन में बायो जेट फ्यूल का मिश्रण था। लेह में ऑपरेशनल उड़ान से पहले चंडीगढ़ एयरबेस पर एएन-32 की टेस्ट फ्लाइट लेकर इसकी परफॉर्मेंस का आकलन किया गया था। बता दें कि बंगलूर में साल 2018 में वायु सेना के जांच प्रतिष्ठान एएसटीई के एक्सपेरिमेंटल टेस्ट पायलट्स और टेस्ट इंजिनियर ने डीआरडीओ, डीजीएक्यूए और सीएसआईआर-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान के साथ साझे प्रयासों से विमान को उड़ाया था। तत्कालीन वायु सेना प्रमुख बीएस धनोआ ने बायो जेट ईंधन को बढ़ावा देने की घोषणा की थी। बता दें कि यह ईंधन जेट्रोफा तेल से बनाया जाता है, जिसे छत्तीसगढ़ बायोडीजल डिवेलपमेंट अथॉरिटी ने तैयार किया है। मई 2019 में भारतीय वायुसेना (आईएएफ) के एएन-32 परिवहन विमान के बेड़े को 10 प्रतिशत जैव जेट ईंधन के मिश्रण वाले विमान ईंधन के इस्तेमाल की अनुमति दी गई थी।