पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट करने की उल्टी गिनती शुरू, हाफिज सईद की सजा का सहारा

पेरिस  – आतंकवाद का पालन-पोषण पाकिस्तान के लिए गंभीर साबित होने वाला है। फाइनान्सियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) में अब तक बचते – बचाते पाकिस्तान की उम्मीदें खत्म हो रही हैं। इमरान खान ने आतंकवाद की फंडिंग रोकने के कितने सबूत एफएटीएफ को दिए हैं, उस पर संदेह है। इकलौती उम्मीद मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज मोहम्मद सईद को हाल में दी गई पांच साल की सजा से है। फिलहाल पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में है। अगर एफएटीएफ पाकिस्तानी सबूतों से संतुष्ट नहीं हुआ तो उसे ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है। हालांकि पाकिस्तानी मीडिया एक अमेरिकी थिंक टैंक की रिपोर्ट पर भरोसा कर रहा है। दक्षिण एशियाई मामलों के स्कॉलर माइकल कुगलमन ने कहा है कि पाकिस्तान ग्रे लिस्ट से बाहर तो नहीं निकल सकता, हां ये हो सकता है कि उसे ब्लैकलिस्ट नहीं किया जाए। तब भी पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में बना रहेगा। फ्रांस की राजधानी पेरिस में सोमवार को एफएटीएफ की बैठक शुरू हो गई। बुधवार यानी 19 फरवरी से प्लेनरी की मीटिंग है जो पाकिस्तान के जवाब पर गौर करेगी। कुगलमन कहते हैं, पाकिस्तान के लिए इतनी जल्दी ग्रे लिस्ट से निकलना तो मुश्किल है। ये शायद इस साल के अंत में होने वाली बैठक में हो सकता है। हालांकि इसके लिए इमरान खान सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे। पाकिस्तान की आतंकवाद रोधी अदालत ने 13 फरवरी को हाफिज मोहम्मद सईद को पांच साल की सजा सुनाई है। इसे इमरान सरकार आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई से जोड़ कर देख रही है।

क्या हाफिज से बचेगा पाकिस्तान?

इससे पहले एफएटीएफ ने 19 पॉइंट पाकिस्तान को दिए थे। पिछली बार इसमें से सिर्फ तीन शर्तें ही पाकिस्तान पूरी कर पाया था। हाफिज सईद की सजा के बाद अमेरिका ने कहा है कि अभी पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ और काम करने की जरूरत है। ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूट की मदीहा अफजल ने ट्वीट कर रहा है कि हाफिज पर कार्रवाई अहम है लेकिन ये देखना होगा कि पाकिस्तान सरकार उसकी अपील पर क्या कार्रवाई करती है। पाकिस्तान को 2018 में ग्रे लिस्ट में डाला गया था। हालांकि इससे पहले 2012 से 2015 के बीच भी पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में था। 2016 में पाकिस्तान सरकार ने हवाला और आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ कड़े कानून बनाए थे जिसके बाद उसे सूची से बाहर कर दिया गया। एफएटीएफ की पिछली मीटिंग अक्टूबर, 2019 में हुई थी। हाल ही में चीन एफएटीएफ का चेयरमैन बना है जो पाकिस्तान का हिमायती रहा है। हालांकि उसने भी इस्लामिक स्टेट, अल कायदा और इनसे जुड़े आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई को अहम मानक बनाया है। पिछली बैठक में चीन ने खुल कर पाकिस्तान का साथ दिया था। इस बार तुर्की भी पाकिस्तान के साथ है। हालांकि अमेरिका समेत बाकी पश्चिमी देश आतंकवाद के खिलाफ इमरान की कार्रवाई से खुश नहीं हैं.